दिल का दर्द आखिर जुबां पर आ ही गया। जी हां हम बात कर रहे हैं झारखंड में एनडीए के प्रमुख घटक दल आजसू की। 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत आजसू को 14 लोकसभा सीटों में से मात्र एक लोकसभा सीट गिरिडीह सीट मिली। जहां से सीपी चौधरी दूसरी बार निर्वाचित हुए।
Highlights-
- सीपी चौधरी की नाराज़गी।
- कुड़मी नेताओं की उपेक्षा।
- भाजपा से आदिवासी-मूलवासी नाराज़!
- सुदेश महतो का नहीं आया बयान।
सीपी चौधरी की नाराज़गी।
सीपी चौधरी के साथ ही पार्टी को लगा कि, इस बार केंद्रीय कैबिनेट में बर्थ मिलना तय है। मंत्री परिषद में एक-एक सांसद वाली पार्टी को भी तवज्जो मिल रही है। बिहार के जीतन राम मांझी को भी कैबिनेट में पूरा सम्मान मिला है। ऐसे में आजसू को भी भरोसा था लेकिन वो भरोसा और उम्मीद टूट चुका है।
कुड़मी नेताओं की उपेक्षा।
दरअसल, इस बार दो कुर्मी नेता झारखंड से जीतकर संसद पहुंचे हैं। एक सीपी चौधरी हैं और दूसरे भाजपा के टिकट से जमशेदपुर से चुनाव लड़ने वाले विद्युत वरण महतो हैं। लेकिन दोनों को ही केंद्रीय कैबिनेट में नजरअंदाज कर दिया गया।
भाजपा से आदिवासी-मूलवासी नाराज़!
झारखंड के पांच आदिवासी सुरक्षित सीटों से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। वैसे में मूलवासी समाज या कुर्मी महतो समाज को केंद्रीय कैबिनेट में प्रतिनिधित्व नहीं देने से झारखंड में नाराज़गी बढ़ सकती है। ऐसे में इसका असर विधानसभा चुनाव पर पड़ना लाजमी है।आदिवासी और मूलवासी समाज अगर बीजेपी या एनडीए के पक्ष में खड़ा नहीं होता है तो लोकसभा चुनाव से बड़ा नुकसान विधानसभा चुनाव में भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
सुदेश महतो का नहीं आया बयान।
मीडिया रिपोर्ट्स में सीपी चौधरी का जो बयान आया है उससे साफ है कि, उन्हें केंद्र में जगह मिलने का भरोसा था। हालांकि, इस मामले में अब तक पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो का कोई बयान सामने नहीं आया है। सुदेश महतो लगातार प्रधानमंत्री के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं।एनडीए की बैठकों में शामिल हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री के साथ कई बार वे मंच साझा कर चुके हैं। बावजूद उसके इस पार्टी के अगर सांसद बीजेपी के खिलाफ बोल रहे हैं तो इससे कहीं न कहीं गठबंधन पर असर पड़ना लाज़िमी है।