झारखंड लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष की नियुक्ति: क्या इससे व्यवस्था सुधरेगी?
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर त्वरित निर्णय लेते हुए झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एल. खियांग्ते को झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) का अध्यक्ष नियुक्त किया। इस नियुक्ति को राज्य की भर्ती प्रक्रिया को गति देने और आयोग की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।
भर्ती प्रक्रिया में तेजी की उम्मीद
राज्यपाल ने आशा जताई है कि इस बदलाव से भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी और आयोग की सभी परीक्षाओं का संचालन तय समय-सीमा के भीतर किया जा सकेगा। यह वादा महत्वपूर्ण है क्योंकि झारखंड में समय पर भर्तियां न होने की वजह से बेरोजगार युवाओं में असंतोष बढ़ता रहा है।
क्या पारदर्शिता सुनिश्चित होगी?
JPSC की कार्यप्रणाली को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। परीक्षाओं में गड़बड़ी, पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोप अक्सर चर्चा में रहते हैं। ऐसे में नई नियुक्ति से पारदर्शिता कितनी बढ़ेगी, यह देखना बाकी है।
राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव का मुद्दा
JPSC एक स्वायत्त संस्था है, लेकिन इस पर सरकार और राजनीतिक प्रभाव के आरोप लगते रहे हैं। पूर्व मुख्य सचिव होने के नाते एल. खियांग्ते का प्रशासनिक अनुभव जरूर महत्वपूर्ण होगा, लेकिन क्या वे राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव से स्वतंत्र होकर निष्पक्ष फैसले ले पाएंगे? यह एक बड़ा सवाल है।
युवाओं की उम्मीदें और आयोग की जिम्मेदारी
झारखंड के हजारों अभ्यर्थी इस नियुक्ति को एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। अब यह आयोग की जिम्मेदारी होगी कि वह लंबित भर्तियों को जल्द से जल्द पूरा करे और भविष्य की परीक्षाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित करे।
पूर्व मुख्य सचिव की नियुक्ति से भर्ती प्रक्रिया में सुधार की उम्मीद की जा रही है, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत होगी। पारदर्शिता, निष्पक्षता और समयबद्धता सुनिश्चित किए बिना केवल नियुक्ति भर से कोई बड़ा बदलाव संभव नहीं होगा।