दुमका से सीता सोरेन और सिंहभूम लोकसभा सीट से गीता कोड़ा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। लिहाजा, इन दोनों ही भाजपा प्रत्याशियों के लिए ये बेहद मुश्किल घड़ी है।
Highlights-
- सीता सोरेन और गीता कोड़ा के चेहरे पर निराशा।
- सीता को संताल की जनता ने अस्वीकारा।
- गीता कोड़ा को जनता ने नकारा।
- जेपी पटेल के हार की चर्चा।
1. सीता सोरेन और गीता कोड़ा के चेहरे पर निराशा।
गुरुवार को रांची में भाजपा ने अपने जीते हुए प्रतिनिधियों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान हार का सामना करने वाली सीता सोरेन, गीता कोड़ा और ताला मरांडी भी मौजूद रहे। पहली पंक्ति में बैठी सीता सोरेन सबसे किनारे तो उनकी ठीक दूसरे छोर में गीता कोड़ा बैठी हुई थी। अग्रणी पंक्ति में होने के बावजूद भी दोनों की निराशा और हताशा को देखा जा सकता है। कहते हैं तस्वीरें झूठ नहीं बोलती हैं। लिहाजा, जो तस्वीर सामने आई है उसमें हार की निराशा साफ तौर पर देखी जा सकती है।
2. सीता को संताल की जनता ने अस्वीकारा।
आपको याद होगा कि, जब सीता सोरेन ने भाजपा ज्वाइन किया था। उसके बाद रांची आने के लिए उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी। उन्हें लगा कि, रांची आने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता उनका विरोध करेंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ था। आज कोई खतरा नहीं है। आज कोई विरोध का भय नहीं है लेकिन सीता सोरेन के चेहरे पर मायूसी है। शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के खिलाफ बोलना सीता सोरेन को भारी पड़ा है। संताल की जनता को यह स्वीकार नहीं हुआ कि, कोई उनकी सरजमीन पर आकर सोरेन परिवार को अपशब्द कहे। सीता सोरेन को भी लगने लगा कि, जब देश में मोदी का जादू है तो फिर दुमका उससे बाहर नहीं है।
3. गीता कोड़ा को जनता ने नकारा।
भाजपा में जाने से पहले गीता कोड़ा लगातार मीडिया में कहती रही कि, मैं कहीं जाने वाली नहीं हूं और उसके ठीक चंद दिनों के बाद वे बीजेपी में शामिल हो जाती हैं। गीता कोड़ा को भरोसा था कि, मोदी के चेहरे के आसरे उनकी जीत पक्की है। जैसे 2019 में उन्हें कांग्रेस के टिकट से जीत मिली थी। हालांकि, इस बार क्षेत्र की जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
4. जेपी पटेल के हार की चर्चा।
हार की चर्चा सिर्फ सीता सोरेन और गीता कोड़ा की नहीं है। बल्कि भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले जयप्रकाश भाई पटेल की भी है। उन्हें भी लगा कि, कांग्रेस के टिकट से वे नैया पार लगा लेंगे लेकिन क्षेत्र की जनता ने उन्हें नकार दिया।