भाजपा का झारखंड सरकार पर बड़ा हमला: प्रशिक्षित माध्यमिक संयुक्त परीक्षा-2025 को बताया शिक्षकों के साथ अन्याय
मुख्य बिंदु:
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भाजपा ने JSSC द्वारा जारी माध्यमिक शिक्षक परीक्षा पर कड़ा ऐतराज़ जताया
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प्रदेश प्रवक्ता रमाकांत महतो ने इसे शिक्षकों का अपमान और युवाओं के साथ अन्याय बताया
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TGT और PGT पदों को समाप्त कर ‘माध्यमिक आचार्य’ नाम से कम वेतन पर नियुक्ति की आलोचना
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ग्रेड पे में भारी कटौती, कार्यभार बढ़ने की आशंका
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नई नियमावली में प्रधानाचार्य पद पर भी वेतन में कटौती
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भाजपा ने सरकार से पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की
रांची- झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा प्रशिक्षित माध्यमिक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2025 (विज्ञापन संख्या 02/2025, दिनांक 10/06/2025) के तहत जारी अधिसूचना को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रमाकांत महतो ने इसे राज्य की शिक्षा व्यवस्था के साथ गंभीर खिलवाड़ करार देते हुए शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया।
टीजीटी-पीजीटी पदों की समाप्ति पर नाराज़गी
प्रवक्ता रमाकांत महतो ने बताया कि हेमंत सरकार नई नियुक्ति नियमावली के तहत वर्षों से स्थापित TGT (Trained Graduate Teacher) और PGT (Post Graduate Teacher) पदों को समाप्त कर ‘माध्यमिक आचार्य’ नामक नया पद सृजित कर रही है। इसके तहत चयनित शिक्षकों को पहले से कम वेतनमान दिया जा रहा है। पहले जहां टीजीटी को ₹4600/- ग्रेड पे और ₹44,900/- बेसिक वेतन मिलता था, वहीं अब माध्यमिक आचार्य को ₹4200/- ग्रेड पे और ₹35,400/- बेसिक वेतन प्रस्तावित किया गया है।
वेतनमान में भारी कटौती, मनोबल पर असर
महतो के अनुसार, पीजीटी पद पर पहले ₹4800/- ग्रेड पे और ₹47,600/- बेसिक वेतन दिया जाता था। अब नए नियमों में इसके स्थान पर नियुक्तियों में कटौती कर दी गई है। उन्होंने आशंका जताई कि इस निर्णय से न केवल शिक्षकों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ेगा बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली भी प्रभावित होगी।
कार्यभार बढ़ेगा, परिणाम गिरेंगे
भाजपा प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि सरकार की इस नीति से माध्यमिक शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्यभार आ जाएगा, क्योंकि उन्हें कक्षा 9वीं से 12वीं तक पढ़ाना होगा। इससे न केवल शिक्षकों का मानसिक दबाव बढ़ेगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
प्रधानाध्यापक और प्राचार्य पदों को भी किया खत्म
भाजपा ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि नई नियमावली में प्रधानाध्यापक और +2 प्राचार्य जैसे महत्वपूर्ण पदों को खत्म कर दिया गया है और इनकी जगह एक साझा “प्रधानाचार्य” का पद बनाया गया है, जिसका ग्रेड पे मात्र ₹4800/- तय किया गया है। जबकि पहले क्रमश: ₹5400/- और ₹7600/- ग्रेड पे मिलते थे।
केंद्र की तर्ज पर नियुक्ति क्यों नहीं?
भाजपा ने राज्य सरकार से सवाल किया कि जब केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) में अब भी टीजीटी और पीजीटी पद बरकरार हैं, तो झारखंड सरकार इन्हें क्यों समाप्त कर रही है? क्या यह नई शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षकों का शोषण नहीं है?
वापसी की मांग, नहीं तो आंदोलन की चेतावनी
भाजपा ने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों की भावनाओं और योग्य बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। पार्टी ने मांग की कि सरकार तत्काल इस नई नियमावली को वापस ले और पूर्व की भांति टीजीटी और पीजीटी पदों की बहाली के साथ उचित वेतनमान निर्धारित करे।