अमन साहू एनकाउंटर: अपराध का अंत या नई गैंगवार की शुरुआत?

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अमन साहू गैंग: झारखंड में संगठित अपराध का विस्तार और लॉरेंस बिश्नोई गैंग से संबंध

झारखंड में संगठित अपराध का चेहरा
झारखंड में संगठित अपराध और गैंगवार का दायरा तेजी से बढ़ा है। जहां पहले अपराध के केंद्र में नक्सली संगठन थे, वहीं अब शहरी गैंग भी मजबूत हो चुके हैं। इन्हीं में से एक नाम था अमन साहू गैंग, जिसने हाल के वर्षों में झारखंड के कोयला, रेलवे और सरकारी ठेकों से अवैध वसूली का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया था।

अमन साहू गैंग: अपराध का नया मॉडल

अमन साहू का अपराधीकरण किसी पारंपरिक बाहुबली की तरह नहीं हुआ, बल्कि उसने डिजिटल माध्यम और बाहरी नेटवर्क का भरपूर इस्तेमाल किया। झारखंड-बिहार के कई इलाकों में उसने नक्सलियों के समान समानांतर व्यवस्था खड़ी कर ली थी। अमन साहू का गैंग ठेकेदारों, व्यापारियों और राजनेताओं से जबरन वसूली करता था। इतना ही नहीं, उसने कई बार पुलिस और प्रशासन को चुनौती दी थी।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग से संबंध?

हाल के वर्षों में झारखंड और बिहार में बाहरी गैंगों की सक्रियता बढ़ी है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में अपना नेटवर्क फैला चुका है, उसने झारखंड के अपराध जगत से भी संपर्क बनाए। सूत्रों के अनुसार, अमन साहू और लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गों के बीच हथियारों की आपूर्ति और अपराधों में तालमेल था। हालांकि, पुलिस ने इस गठजोड़ पर आधिकारिक तौर पर ज्यादा खुलासा नहीं किया है, लेकिन अपराध जगत में इन दोनों गैंगों के बीच कनेक्शन को लेकर कई अटकलें लगाई जाती रही हैं।

झारखंड में अपराध का बदलता चेहरा

झारखंड में अपराध की प्रकृति तेजी से बदल रही है। पहले जहां नक्सली संगठनों का वर्चस्व था, वहीं अब नवीन गैंग अपराध की दुनिया पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। अमन साहू जैसे अपराधियों ने दिखाया कि कैसे संगठित गैंग नक्सली संगठनों से भी ज्यादा ताकतवर हो सकते हैं।

कुछ प्रमुख झारखंडी अपराधी गिरोह:

  • अमन साहू गैंग: रंगदारी, ठेकेदारी पर कब्जा, सुपारी किलिंग
  • टीपीसी और अन्य नक्सली संगठनों से जुड़े गिरोह: हथियार और वसूली का नेटवर्क

पुलिस और प्रशासन की नाकामी?

झारखंड पुलिस लंबे समय से अमन साहू गैंग का पीछा कर रही थी, लेकिन उसे खत्म करने में देरी हुई। झारखंड के कई गैंग आज भी सक्रिय हैं और उनमें से कई को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। अमन साहू का मारा जाना अपराध के खात्मे का संकेत नहीं, बल्कि झारखंड में संगठित अपराध की नई चुनौतियों की शुरुआत भर है

क्या अमन साहू गैंग का अंत हुआ?

अमन साहू की मौत के बाद भी उसके गुर्गे अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। कई बड़े अपराधी सरगना अब भी फरार हैं, और लॉरेंस बिश्नोई जैसे बाहरी नेटवर्क का झारखंड में प्रभाव बढ़ रहा है। अमन साहू की मौत के बाद अब देखना होगा कि उसका गैंग खत्म होगा या कोई नया अपराधी उसकी जगह लेगा।

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