झारखंड की दुर्दशा: सत्ता दल की लूट
झारखंड में भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि, झारखंड की वर्तमान स्थिति को देखकर कहना पड़ता है कि सत्ताधारी दल के लोग राज्य को चील और कोवे की तरह नोच-नोच कर खा रहे हैं। राज्य में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। अन्याय की कोई सीमा नहीं रही। सत्ताधारी नेताओं के पास से नोटों के पहाड़ बरामद हो रहे हैं, जो इस भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा प्रमाण हैं।
कानून-व्यवस्था और बेटियों की सुरक्षा पर सवाल
राज्य की कानून व्यवस्था ऐसी है कि कोई भी सुरक्षित नहीं है। बेटियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सत्ताधारी दल के लोग रेत, बालू से लेकर खनिज संपदाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल पहुंचाने के लिए भेजा गया पैसा भी बर्बाद कर दिया गया है। एक भी गाँव में ये पैसा सही तरीके से नहीं पहुंचा, तो आखिर ये पैसा गया कहां?
युवाओं की अनदेखी: रोजगार के वादे खोखले
पिछले पांच सालों में एक भी नौकरी नहीं दी गई और अब, चुनाव के समय युवाओं को 10-10 किलोमीटर दौड़ाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में कई युवाओं की जान भी जा चुकी है। यह स्थिति अत्यंत भयावह है, और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
डेमोग्राफी में बदलाव: गंभीर खतरा
झारखंड में डेमोग्राफी (जनसंख्या संरचना) में हो रहे बदलाव को लेकर भी गंभीर चिंता जताई जा रही है। यह बदलाव भयावह और भयानक है। इस कारण झारखंड को बचाना भारतीय जनता पार्टी का कर्तव्य बनता है।
वादों का छलावा: जनता को गुमराह करने की साजिश
पिछले पांच सालों में सत्ताधारी दल ने कोई वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने हर घर को 2,000 रुपये चूल्हा खर्च देने का वादा किया था, लेकिन अब चुनाव के समय केवल 1,000 रुपये पकड़ा कर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह केवल वोट पाने की चाल है। हम इसे उजागर करेंगे। भारतीय जनता पार्टी इस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है।