लखनऊ : आजकल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ (Mahakumbh) मेला चल रहा है। इसमें देश-विदेश के करोड़ों लोग अब तक पवित्र स्नान संगम में डुबकी लगाकर कर चुके हैं। इस बीच यह महत्वपूर्ण खबर सामने आ रही है कि जो धर्मगुरु जीवन की पवित्रता की शिक्षा देते हैं, अब वे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की समस्याओं के निदान में भी मदद करेंगे। यह आश्चर्यजनक (Astonishing) लग सकता है, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कुछ इसी तरह की पहल करने जा रही है। योगी सरकार ने महाकुंभ में धर्मगुरुओं के साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों (Challenges) से निपटने के लिए मंथन करने का निर्णय किया है। धर्म और विज्ञान (Religion & Science) के संबंध पर यदि वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से बहस (Debate) हो सकती है, तो इस प्रकार के निर्णय की प्रशंसा की जानी चाहिए।
विचारशील नेता भी होते हैं धर्मगुरु
अब बात करते हैं इस निर्णय पर सरकारी पक्ष जानने को लेकर। इस विषय में राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार का कहना है कि चूंकि ये धर्मगुरु विचारशील नेता भी हैं, जिनके पास सामाजिक चेतना (Social Consciousness) को प्रभावित करने की शक्ति है, इसलिए सरकार ने ऐसा निर्णय किया है। हमने लंबे समय से विभिन्न कारणों से लोगों को प्रभावित करने के लिए धर्मगुरुओं का सहयोग लिया है। अलीगढ़ और मुरादाबाद में जिलाधिकारी (DM) के रूप में मुझे पल्स पोलियो (Pulse Polio) पर समर्थन के लिए धर्मगुरुओं की मदद लेना याद है।
16 फरवरी को होगा मेगा आयोजन
मुख्य सचिव मनोज कुमार कहते हैं कि अब जलवायु परिवर्तन से बड़ा और बेहतर मुद्दा क्या हो सकता है। ये संत प्राचीन ज्ञान के भंडार हैं और हम उनकी अंतर्दृष्टि से लाभ उठाने का इरादा रखते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, ‘आई फॉरेस्ट’ के साथ साझेदारी में ‘कुंभ की आस्था और जलवायु परिवर्तन’ विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। 16 फरवरी को महाकुंभ में होने वाले इस सम्मेलन में धर्मगुरु और विशेषज्ञ शिरकत करेंगे।
आई फॉरेस्ट : एक इंटरनेशनल फोरम
बता दें कि ‘आई फॉरेस्ट’ पर्यावरण, स्थिरता और प्रौद्योगिकी के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच (International Forum) है।अब तक मिली जानकारी के अनुसार, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन शमन में धर्म गुरुओं की भूमिका पर एक सत्र में विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे धर्मगुरु इस जटिल मुद्दे का समाधान खोजने में सहयोग कर सकते हैं। अन्य विषय जैसे ‘जलवायु कार्रवाई में आस्था-आधारित संगठनों को बढ़ावा देने और समर्थन करने में सरकारों की भूमिका, आपदा राहत, जल सुरक्षा पर भी इस सम्मेलन में चर्चा होगी।
इन संस्थाओं और हस्तियों की होगी महत्वपूर्ण भागीदारी
इस सम्मेलन को एक प्रकार का अनूठा मिलन समारोह बनाया जा रहा है। इसमें परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती जैसे धार्मिक गुरु शामिल होंगे। ब्रह्माकुमारीज से बहन बीके मनोरमा, जगद्गुरु कृपालु योग ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी मुकुंदानंद, कैलाश मानसरोवर से आचार्य हरि दास गुप्ता, चंद्रमौली उपाध्याय, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, राम कृष्ण मिशन आश्रम, कानपुर के सचिव स्वामी आत्मश्रद्धानंद और इस्कॉन के सदस्य गौर गोपाल दास जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए आगे का रास्ता सुझायेंगे।
इसमें नागरिक समाज की प्रखर आवाज जैसे- डॉ. चंद्र भूषण (सीईओ, आईफॉरेस्ट), डॉ. राजेंद्र सिंह (वॉटरमैन ऑफ इंडिया), उपेन्द्र त्रिपाठी (राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान, राजेंद्र रत्नू (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) और श्री आरआर रश्मी (टीईआरआई)) जैसे उल्लेखनीय शिक्षाविद भी शिरकत करेंगे।