भले ही रांची के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी पर टिकट के लिए एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने का आरोप लगे लेकिन रांची प्रेस क्लब में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा के दौरान उनका दर्द भी छलका। ये यह दर्द था राष्ट्रीय पार्टियों का झारखंड के मूलवासी समाज के हितों की अंदेखी करने का। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रामटहल चौधरी ने कहा कि, राष्ट्रीय पार्टियां अब झारखंड के मूलवासी समाज का और मिसयूज नहीं कर पाएंगी। हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए हैं।
पूर्व सांसद रामटहल चौधरी का मूलवासी प्रेम जगा है तो इसका अर्थ क्या ये लगाया जा सकता है कि, जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा उनका अगला ठिकाना हो सकता है। इसका जवाब अभी देना बहुत जल्दबाज़ी होगी। इस सवाल को जब न्यूज़ मॉनिटर ने जयराम की पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता विजय कुमार सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा कि, हम तो स्वागत करने के लिए तैयार हैं। रामटहल चौधरी पुराने राजनीतिज्ञ हैं और झारखंड की जल, जंगल, जमीन की लड़ाई को अच्छी तरह से जानते हैं। अगर वे पार्टी में आते हैं तो उनका स्वागत है। खैर मक़दम है। रांची लोकसभा सीट का जहां तक सवाल है तो यहां से पार्टी ने पहले ही देवेंद्र नाथ महतो को चुनावी मैदान में उतारा है। अगर रामटहल चौधरी उनको अपना समर्थन देते हैं तो जाहिर सी बात है देवेंद्र महतो के लिए या फिर जय राम की पार्टी के लिए यह लाभकारी साबित होगा।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रामटहल चौधरी बेहद गुस्से में भी नजर आए। भाजपा के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होने कहा कि, भाजपा के लोग क्या कहेंगे। जिस पार्टी को उन्होंने सींच कर यहां तक पहुंचाया। उस पार्टी ने उसे दरकिनार कर दिया और आज कोई और उस खेत को काट रहा है। रामटहल चौधरी की नाराज़गी कांग्रेस से ज्यादा भाजपा से है।
क्या उम्र के इस पड़ाव में रामटहल चौधरी जयराम महतो के साथ जुड़कर कोई क्रांति ला सकते हैं। यह कहना बेहद मुश्किल है लेकिन जिस तरह का राजनीतिक अनुभव रामटहल चौधरी के पास है उसका फायदा जयराम महतो की पार्टी चाहे तो उठा सकती है। न्यूज़ मॉनिटर से पिछले दिनों बात करते हुए रामटहल चौधरी ने कहा था कि, जयराम महतो अच्छा काम कर रहे हैं। आदिवासी मूलवासी समाज के हितों को आगे रख रहे हैं।