Balasore incident

देश की बेटियां कब होंगी सुरक्षित? बालासोर घटना पर झामुमो का केंद्र पर हमला.

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बालासोर की घटना पर भड़के झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, कहा – बेटियाँ भाजपा सरकार में असुरक्षित, अपराध चरम पर

मुख्य बिंदु:

  • बालासोर की घटना को लेकर झामुमो नेता ने जताई गहरी नाराजगी

  • कहा – बेटियाँ आत्मदाह को मजबूर, समाज शर्मसार

  • केंद्र की भाजपा सरकार को ठहराया जिम्मेदार

  • सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए गंभीर सवाल



बालासोर की दर्दनाक घटना से देश शर्मसार

रांची, 16 जुलाई 2025-ओडिशा के बालासोर जिले में हुई दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि देश की बेटियाँ खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं और अपराधों की बढ़ती घटनाओं ने समाज को शर्मसार कर दिया है।

बेटियाँ आत्मदाह को मजबूर, सरकार मौन

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अब बेटियाँ आत्मदाह जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल दर्दनाक है बल्कि सरकार की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है।

“चाहे आम बेटियाँ हों या देश का नाम रौशन करने वालीं, कोई सुरक्षित नहीं”

झामुमो महासचिव ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा शासन में न तो आम बेटियाँ सुरक्षित हैं और न ही वे बेटियाँ जिन्होंने खेल, शिक्षा, विज्ञान या अन्य क्षेत्रों में देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर देश की बेटियों को सुरक्षा कब मिलेगी?

केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया

बालासोर की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि यह केवल एक राज्य की घटना नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। भाजपा सरकार सिर्फ नारों और वादों तक सीमित है, जबकि जमीनी हकीकत बेहद भयावह है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि महिला सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की नीतियाँ पूरी तरह विफल साबित हो रही हैं।

बालासोर की त्रासद घटना ने फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब बेटियाँ निडर होकर जी पाएंगी। झामुमो जैसे विपक्षी दल अब सीधे तौर पर भाजपा सरकार की जवाबदेही तय करने की कोशिश कर रहे हैं। सुप्रियो भट्टाचार्य के तीखे शब्द यह संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा केवल राज्य या घटना-विशेष तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय बहस का विषय बन सकता है।

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