झारखंड में दल बदलुओं का क्या होगा। क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में एक दल छोड़कर दूसरे दल में जाने वाले प्रत्याशियों को जीत मिलेगी या फिर उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। एग्जिट पोल में एनडीए को जीत दिखाई जा रही है। ज्यादातर दल बदल करने वाले एनडीए खेमे में गए हैं।
Highlights-
- दुमका में सीता सोरेन का क्या होगा।
- गीता कोड़ा को फायदा या नुकसान।
- बदल बदलना जेपी पटेल को पड़ सकता है भारी।
- लोबिन रेस में या बाहर।
दुमका में सीता सोरेन का क्या होगा।
सबसे पहले बात सीता सोरेन की करते हैं। ठीक लोकसभा चुनाव से पहले सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर मोदी के परिवार में शामिल हो जाती हैं। सोरेन परिवार की पुत्रवधू होने की वजह से सीता सोरेन को भाजपा ने खास तरजीह दी। बीजेपी ने दुमका से सुनील सोरेन को चुनावी मैदान में उतारा लेकिन बाद में उनका टिकट काटकर सीता सोरेन को दे दिया। एग्जिट पोल की मानें तो दुमका से सीता सोरेन जीतती हुई नज़र आ रही हैं। ऐसे में क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में जाने का सीता सोरेन को फायदा हुआ है। या फिर मोदी के चेहरे के आसरे ही सीता सोरेन को जीत मिल रही है।
गीता कोड़ा को फायदा या नुकसान।
सिंहभूम सीट से कांग्रेस की सांसद रही गीता कोड़ा ने भी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गई। बीजेपी ने उन्हें चाईबासा सीट से चुनावी मैदान में उतारा। उनके सामने झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक जोबा मांझी हैं। एग्जिट पोल में जो आंकड़े बताए जा रहे हैं। उसके मुताबिक चाईबासा सीट में गीता कोड़ा को जोबा मांझी ने कड़ी टक्कर दी है। क्या गीता कोड़ा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा बहुत काम नहीं आया है। क्या स्थानीय लोगों की नाराजगी गीता कोड़ा को नुकसान पहुंचा रही है। आपको याद होगा कि, चुनाव प्रचार के दौरान गीता कोड़ा को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया था। काफी मशक्कत के बाद ग्रामीणों के बीच से उन्हें छुड़ाया गया था। भाजपा ने इसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा को जिम्मेदार ठहराया था।
बदल बदलना जेपी पटेल को पड़ सकता है भारी।
भाजपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले जयप्रकाश भाई पटेल को कांग्रेस पार्टी ने हजारीबाग लोकसभा सीट से टिकट दिया। जेपी पटेल के सामने भाजपा के मनीष जायसवाल चुनावी मैदान में हैं। एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं कि, हजारीबाग में बीजेपी के प्रत्याशी मनीष जायसवाल की जीत होती हुई नजर आ रही है। ऐसे में क्या लोगों ने जयप्रकाश भाई पटेल के पार्टी बदलने के निर्णय को सही नहीं माना। क्या एक दल से दूसरे दल में जाने की वजह से उनको हार का सामना करना पड़ रहा है। या फिर मनीष जायसवाल के साथ मोदी का चेहरा होने की वजह से जेपी पटेल को नुकसान होता हुआ नज़र आ रहा है।
लोबिन रेस में या बाहर।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम भी पार्टी के खिलाफ जाकर राजमहल सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े। बिना तीर धनुष के निशान के लोबिन हेंब्रम मैदान में गए। राजमहल लोकसभा सीट के बारे में एग्जिट पोल के जो आकलन हैं उसके मुताबिक वहां कड़ी टक्कर है। हालांकि, टक्कर लोबिन हेंब्रम की वजह से नहीं है। ऐसे में क्या लोबिन को झारखंड मुक्ति मोर्चा से बगावत करने का नुकसान होगा
कुल मिलाकर ये सभी आकलन एग्जिट पोल के आंकड़े के आधार पर है। एग्जिट पोल कोई अंतिम निर्णय नहीं है। लिहाजा, 4 जून को तस्वीर साफ होगी। उस दिन तक का इंतज़ार किया जाना चाहिए।