आगामी 1 जून को झारखंड की बची तीन लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। गोड्डा के साथ ही दुमका और राजमहल सीट पर वोट डाले जाएंगे। झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं।
हाइलाइट्स-
- एक जून को संताल की तीन सीटों पर मतदान।
- तीनों सीटों पर महत्वपूर्ण प्रत्याशियों को जानिए।
- दुमका लोकसभा सीट से सीता सोरेन को कितनी उम्मीदें।
- राजमहल में क्या लोबिन हेंब्रम बिगाड़ेंगे झामुमो का खेल।
- गोड्डा में क्या प्रदीप यादव पार करेंगे चुनावी नैया।
- आदिवासी लेखक ग्लैडसन डुंगडुंग की प्रतिक्रिया जानिए।
महत्वपूर्ण प्रत्याशियों को जानिए।
प्रत्याशियों की बात करें तो दुमका लोकसभा सीट से भाजपा की सीता सोरेन के सामने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नलिन सोरेन चुनावी मैदान में हैं। राजमहल में मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा और भाजपा ने ताला मरांडी के बीच है। खास बात यह है यहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा के बागी विधायक लोबिन हेंब्रम भी निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। गोड्डा लोकसभा सीट से बीजेपी ने निशिकांत दुबे को एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा गया है। उनके सामने पहले कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह थीं। बाद में उन्हें बदलकर प्रदीप यादव को चुनावी अखाड़े में उतारा गया है।
दुमका सीट की चर्चा।
इन तीन सीटों में सबसे महत्वपूर्ण सीट दुमका लोकसभा सीट मानी जा रही है। यहां से सीता सोरेन भाजपा की प्रत्याशी हैं। सोरेन परिवार की पुत्रवधू हैं सीता सोरेन। पिछले दिनों उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गईं। पार्टी ने आनन-फानन में दुमका लोकसभा सीट से प्रत्याशी भी बना दिया। जबकि भाजपा की तरफ से पहले वहां सुनील सोरेन को उम्मीदवार घोषित किया गया था। आखिरी समय में उनको चुनावी मैदान से हटा दिया गया। सोरेन परिवार की पुत्रवधू होने की वजह से सीता सोरेन भाजपा के लिए मुफीद साबित हो सकती हैं। यही वजह है की सीता सोरेन के प्रचार के लिए भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों को लगाया है। सीता के साथ ही उनकी तीनों बेटियां भी चुनावी प्रचार में जुटी हुई हैं।
कल्पना सोरेन का चुनावी प्रचार।
इंडिया गठबंधन की तरफ से हेमंत सोरेन की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन लगातार संताल का दौरा कर रही हैं। दुमका में भी उन्होंने कई सभाओं को संबोधित किया है। सीता सुरेन और कल्पना सोरेन के बीच पारिवारिक विवाद होने की वजह से ये चुनावी भाषणों में भी सुनाई पड़ता है। खासकर सीता सोरेन नाम लेकर आरोप प्रत्यारोप करती हैं।
ग्लैडसन डुंगडुंग की प्रतिक्रिया।
आदिवासी लेखक और एक्टिविस्ट ग्लैडसन डुंगडुंग का मानना है कि, सीता सोरेन ने भारी भूल की है। संताल में रहकर शिबू सोरेन को भला बुरा कहना संताली समाज कभी माफ नहीं करेगा। सीता सोरेन भाजपा की मोहरा बनकर रह गई हैं। ग्लैडसन की माने तो जिस पार्टी में उन्होंने डेढ़ दशकों तक समय बिताया। उसे अब भला बुरा कह रही हैं। ऐसे में मतदाता भी उनका हिसाब पूरा लेना चाहेंगे। ग्लैडसन डुंगडुंग कहते हैं कि, भाजपा को यह लगा कि, सीता सोरेन को बीजेपी में शामिल कर लेने से संताल में उनको फायदा होगा। भाजपा यहीं पर गलती कर गई।
दुमका और राजमहल सीट।
दुमका के साथ ही राजमहल और गोड्डा को लेकर ग्लैडसन डुंगडुंग का कहना है कि, यहां भी आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज एक मंच पर खड़ा हो गया है। एकजुटता के साथ वोट देने की वजह से चुनाव परिणाम इंडिया गठबंधन के पक्ष में आएंगे। बहरहाल, ग्लैडसन डुंगडुंग का अपना तर्क है। एक बात तो साफ है कि, सीता सोरेन जब से भाजपा में शामिल हुई हैं। वे सोरेन परिवार पर लगातार हमला कर रही हैं। उनकी बेटियां भी अपनी मां के नक्शे कदम पर चल रही हैं। अब यह संताल की जनता को तय करना है कि, वे किसी अपना आशीर्वाद देती हैं।