झारखंड में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने की पहल का स्वागत।

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झारखंड में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने की पहल का स्वागत

झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के केंद्रीय महासचिव और झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद ने शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन द्वारा राज्य के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति उम्र 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने पर विचार करने की पहल का स्वागत किया है।

शिक्षक संघों का लगातार संघर्ष

उन्होंने बताया कि झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा में शामिल राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ, झारखंड प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ, झारखंड स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन एवं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ पिछले दो वर्षों से लगातार धरना-प्रदर्शन कर सरकार को इस मुद्दे पर आगाह कर रहा है।

लंबित मांगों को पूरा करने की अपील

राज्य के शिक्षकों की विभिन्न लंबित मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्रियों, राज्यसभा सांसदों, विधायकों और शिक्षा सचिव से लगातार गुहार लगाई जाती रही है। इस संबंध में अमीन अहमद ने शिक्षा मंत्री के नाम एक खुला पत्र जारी कर सरकार से शिक्षकों की लंबित और जायज मांगों को जल्द पूरा करने की अपील की, ताकि सरकार पर विश्वास बना रहे।

अन्य राज्यों में बढ़ी सेवानिवृत्ति उम्र

उन्होंने बताया कि झारखंड के साथ गठित छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में भी राज्य कर्मियों की सेवानिवृत्ति उम्र 62 वर्ष कर दी गई है। हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने शिक्षकों की सेवानिवृत्ति उम्र विश्वविद्यालय के शिक्षकों की तर्ज पर 65 वर्ष करने की घोषणा की है, लेकिन झारखंड में अभी भी यह 60 वर्ष ही बनी हुई है।

शिक्षकों के आर्थिक हितों की अनदेखी

राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को एमएसीपी का लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे उनके साथ आर्थिक भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य कर्मचारियों को नियमित रूप से पदोन्नति और एमएसीपी का लाभ दिया जाता है, लेकिन शिक्षकों को इससे वंचित रखा गया है। बिहार सरकार ने 2021 में ही अपने शिक्षकों को एमएसीपी का लाभ दे दिया था, जबकि झारखंड में यह अब तक लंबित है।

छठे वेतन आयोग की अनुशंसा का लाभ नहीं

2006 से पहले नियुक्त शिक्षकों को छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के बावजूद उत्क्रमित वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है, जबकि राज्य के सचिवालय कर्मियों को 2019 से ही यह लाभ मिल रहा है। इससे शिक्षकों में असंतोष बढ़ रहा है और वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब शिक्षकों को ही न्याय नहीं मिलेगा, तो राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना कैसे की जा सकती है?

गृह जिला स्थानांतरण की मांग

शिक्षकों के गृह जिला स्थानांतरण को लेकर अमीन अहमद ने कहा कि सभी जटिल नियमों को शिथिल कर सामूहिक स्थानांतरण किया जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर की शिक्षा में स्थानीय शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है, ताकि बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा मिल सके।

शिक्षा विभाग में एनजीओ के दखल को खत्म करने की अपील

उन्होंने राज्य के शिक्षा विभाग में एनजीओ के बढ़ते दखल को खत्म करने की भी मांग की, ताकि शिक्षकों की भूमिका को मजबूत किया जा सके और शिक्षा व्यवस्था में उनका योगदान प्रभावी बना रहे।

शिक्षक संघों का निरंतर संघर्ष

झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता शहज़ाद अनवर ने बताया कि पिछले वर्ष शिक्षक मोर्चा और अन्य शिक्षक संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर धरना, प्रदर्शन और आमरण अनशन किया था, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला है।

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