प्रो. रमेश शरण का निधन: एक अपूर्णीय क्षति
चर्चित जन अर्थशास्त्री एवं वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो. रमेश शरण का निधन सिर्फ झारखण्ड प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता के आर्थिक हितों के पक्ष में अपूर्णीय क्षति है। उनके निधन से देश ने एक महत्वपूर्ण आवाज खो दी है जो हमेशा जनता के पक्ष में खड़ी रही।
ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम की श्रद्धांजलि
ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ़), झारखण्ड इकाई ने प्रो. शरण के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। दशकों से उन्होंने झारखण्ड की जनता के पक्ष में एक भरोसेमंद अर्थशास्त्री एवं जन हित के पहरेदार के रूप में सक्रिय बौद्धिक भूमिका निभाई।
रांची विश्वविद्यालय और विनोबा भावे विश्वविद्यालय में योगदान
प्रो. रमेश शरण रांची विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष और फिर विनोबा भावे विश्वविद्यालय के उपकुलपति के रूप में अपने सहृदय आचरण से व्यापक छात्रों में लोकप्रिय रहे। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सामाजिक और जन आंदोलनों में सक्रिय भूमिका
एआईपीएफ़ सलाहकार समिति के सदस्य होने के अलावा प्रो. शरण जन मुद्दों पर सक्रिय रहने वाले सभी सामाजिक जन संगठन समूहों के सक्रिय सहयोगी रहे। झारखण्ड राज्य गठन आन्दोलन में डॉ. रामदयाल मुंडा और डॉ. केसरी के संग अगुवा एक्टिविष्ट बौद्धिक जमात संगठित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
जल, जंगल, जमीन और विस्थापन के मसले
प्रो. शरण जल, जंगल, जमीन के सवालों और विस्थापन जैसे गंभीर मसलों पर जन विरोधी सत्ता-शासन के मुखर आलोचक रहे। उन्होंने झारखंडी जनता के अधिकारों की हमेशा हिमायत की और उनके लिए संघर्ष किया।
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
फोरम के तत्वावधान में अन्य संगठनों और शक्तियों के साथ मिलकर प्रो. शरण की याद में “श्रद्धांजलि सभा” का आयोजन किया जाएगा। उनके निधन से झारखण्ड नव निर्माण के प्रयासों को भी गंभीर क्षति पहुंची है।