वित्त रहित शिक्षक JHARKHAND VITT RAHIT

वित्त रहित शिक्षकों का 16 जुलाई तक का अल्टीमेटम। नहीं तो होगा आंदोलन।

झारखंड/बिहार ताज़ा ख़बर रोज़गार समाचार

शिक्षकों की बैठक: वित रहित और अनुदानित विद्यालयों के लिए संघर्ष की तैयारी

वित रहित और अनुदानित इंटर कॉलेजों, उच्च विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों और मदरसा विद्यालयों के प्राचार्य/प्रधानाचार्य एवं शिक्षक प्रतिनिधियों की बैठक सर्वोदय बाल निकेतन उच्च विद्यालय धुर्वा, रांची में हुई। इस बैठक में शिक्षकों ने अपने मुद्दों और मांगों को लेकर रणनीति बनाई।

शिक्षकों की दशा

बैठक में प्राचार्यों और प्रधानाचार्यों ने बताया कि, वे पिछले 25-30 वर्षों से राज्य के गरीब आदिवासी, दलित एवं अनु-जाति, अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये स्कूल और कॉलेज अधिकतर देहाती क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां उच्च शिक्षा की सुविधाओं का अभाव है। इतने वर्षों की सेवा के बावजूद, शिक्षकों को वेतन के नाम पर ₹1 भी नहीं मिलता है।

अनुदान की अपर्याप्तता

सरकार वर्ष में एक बार छात्र संख्या के आधार पर अनुदान देती है, जो इस महंगाई के समय में काफी कम है। उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और मदरसा विद्यालयों के शिक्षक कर्मचारियों को अनुदान से प्रति माह केवल चार से पांच हजार रुपये मिलते हैं। एक हजार से ज्यादा छात्र संख्या वाले स्कूलों को 14 लाख 40 हजार रुपये मिलते हैं, जबकि एक विद्यालय में 12 शिक्षक और 3 कर्मचारी होते हैं।

आर्थिक स्थिति दयनीय

इस महंगाई के समय में शिक्षकों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। इंटर कॉलेजों में 2000 से ज्यादा छात्र संख्या होने पर और तीनों संकाय होने पर 60 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि शिक्षक कर्मचारियों की संख्या 25 से 30 होती है। एक संकाय में 168000 रुपये मिलते हैं, जो बहुत कम है।

वित्त रहित शिक्षकों को मिला मुख्यमंत्री का आश्वासन। जल्द मांगें होगी पूरी।

संघर्ष और सरकार का आश्वासन

बैठक में शिक्षकों ने कहा कि, वे पिछले 25-30 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में आश्वासन दिया था कि वित रहित शिक्षा नीति समाप्त कर शिक्षकों को सरकारी कर्मियों के समान वेतन दिया जाएगा। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव ने कार्मिक विभाग को पत्र भी लिखा, लेकिन मामला अभी तक लंबित है।

अनुदान वृद्धि का मामला

सरकार ने महंगाई को देखते हुए अनुदान की राशि चौगुना करने का पत्र विभागीय सचिव को लिखा था। इसके आलोक में एक कमिटी बनाई गई, जिसने 75% अनुदान बढ़ाने की अनुशंसा की है, लेकिन यह मामला अभी तक केबिनेट को नहीं भेजा गया है।

संघर्ष की तैयारी

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि:

  1. मंत्री परिषद के विस्तार के बाद मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत कराएगा।
  2. अगर 16 जुलाई तक मांगों पर विभाग कार्रवाई नहीं करेगा, तो मोर्चा आंदोलन की घोषणा करेगा।
  3. विधानसभा सत्र के समय विधानसभा का घेराव किया जाएगा।
  4. 16 जुलाई को राजभवन पर धरना दिया जाएगा।
  5. इंटर कॉलेजों में सीट बढ़ोतरी की संचिका मुख्यमंत्री सचिवालय में पड़ी है, अगर इस पर अनुमोदन नहीं हुआ तो मोर्चा आंदोलन के लिए विवश हो जाएगा।
  6. सभी शिक्षक कर्मी स्कूल कॉलेज बंद कर रांची में आंदोलन करेंगे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बधाई

बैठक के अंत में शिक्षकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पुन: मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी और आशा व्यक्त की कि वे उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे।

बैठक में प्रमुख रूप से बोलने वालों में रघुनाथ सिंह, कुंदन कुमार सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फज्लुल कादिर अहमद, अरविंद सिंह, संजय कुमार, देव नाथ सिंह, नरोत्तम सिंह, गणेश महतो, मनीष कुमार, मनोज तिर्की, रेशमा बेक, रघु विश्वकर्मा, अमरावती कुमारी, सिस्टर मंजूषा, कल्याणी कुजूर, मनोज कुमार, डालेश चौधरी, विनय उरांव, मुरारी सिंह प्रमुख थे। बैठक की अध्यक्षता अनिल तिवारी ने की और 500 से ज्यादा प्राचार्यों एवं शिक्षक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक की जानकारी प्रेस को मनीष कुमार और अरविंद सिंह ने दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *