हूल दिवस पर दुमका पहुंचे बाबूलाल मरांडी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी आज संथाल परगना के दौरे पर उपराजधानी दुमका पहुंचे। हूल दिवस के अवसर पर उन्होंने हूल क्रांति के महानायक वीर शहीद सिदो कान्हु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
हूल क्रांति की याद
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से दो वर्ष पूर्व ही संथाल परगना की धरती से अमर शहीद सिदो कान्हु के नेतृत्व में अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ हजारों जनजाति भाई-बहनों ने संघर्ष किया और बलिदान दिया, जिसे हूल के नाम से जाना जाता है।
जनजातीय अधिकारों और संस्कृति की सुरक्षा
मरांडी ने बताया कि हूल क्रांति के कारण ही आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए एसपीटी और सीएनटी जैसे कानून बने।
घटती जनजातीय जनसंख्या पर चिंता
बाबूलाल मरांडी ने आदिवासियों की तेजी से घटती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की। 1951 की जनगणना से लेकर 2011 की जनगणना के बीच की जनसंख्या का विश्लेषण करते हुए उन्होंने बताया कि 1951 में आदिवासियों की आबादी 44.69% थी, जो 2011 में घटकर 28.11% हो गई। वहीं, इस बीच मुस्लिम आबादी 9.44% से बढ़कर 22.73% हो गई और अन्य समुदायों की आबादी 43% से बढ़कर 49% हो गई।
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संथाल जनजाति का भविष्य
बाबूलाल ने चेतावनी दी कि, अगर इसी प्रकार जनजातीय समाज की आबादी घटती रही, तो आजादी के 100 साल और हूल आंदोलन के लगभग 200 साल पूरे होते-होते संथाल जनजाति समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। मरांडी ने कहा कि, संथाल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिलों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
राज्य सरकार से कार्रवाई की मांग
बाबूलाल ने राज्य सरकार से मांग की कि जनजातीय जमीन और कानूनों की सुरक्षा के लिए जमीनी स्तर पर गहराई से जांच होनी चाहिए। इसके लिए एसआईटी (विशेष जांच दल) गठित करने की मांग भी की।