हेमंत सरकार में “अनुराग प्रेम” क्यों? — बाबूलाल मरांडी का बड़ा हमला
🔹 मुख्य बिंदु (One-liner Highlights):
- झारखंड दो दिनों से डीजीपी विहीन, संवैधानिक संकट का दावा
- अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर बाबूलाल मरांडी ने उठाए गंभीर सवाल
- आरोप: भ्रष्टाचार रोकने की बजाय ईडी मामलों को दबाने की मिली थी जिम्मेदारी
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मनमानी नियम बनाकर नियुक्ति
- कोयला चोरी, ईडी गवाहों पर झूठे केस सहित कई घोटालों में जुड़ाव का आरोप
- अनुराग गुप्ता पर 2000 से ही धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार के गंभीर केस दर्ज
झारखंड में डीजीपी का पद रिक्त, संवैधानिक संकट: मरांडी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता कर हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि झारखंड में बीते दो दिनों से डीजीपी का पद खाली है, जिससे राज्य संवैधानिक संकट में है। उन्होंने बताया कि न सिर्फ पुलिस, बल्कि एसीबी और सीआईडी जैसे अहम विभागों के डीजीपी भी वर्तमान में नहीं हैं।

अनुराग गुप्ता की नियुक्ति असंवैधानिक, आरोपों की लंबी सूची
मरांडी ने आरोप लगाया कि अनुराग गुप्ता पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता पर Magadh University Police Station Case No. 64/2000 में IPC की कई धाराओं सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत केस दर्ज है।
उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री रहते मेरे कार्यकाल के अंत में बिहार सरकार से उनके खिलाफ प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन की मांग भी आई थी, लेकिन आगे क्या हुआ, मुझे नहीं पता।”

सस्पेंशन से नज़दीकी तक, ईडी प्रबंधन का आरोप
मरांडी ने खुलासा किया कि हेमंत सोरेन ने 24 फरवरी 2020 से 9 मई 2022 तक अनुराग गुप्ता को निलंबित रखा था। लेकिन फिर वही मुख्यमंत्री उन्हें दोबारा झारखंड में नियुक्त करते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे जिज्ञासा हुई कि अचानक ये निकटता क्यों बढ़ी, तो पता चला कि शर्त ये थी कि अनुराग गुप्ता ईडी के मामलों को ‘मैनेज’ करेंगे और गवाहों को दबाने का काम करेंगे।”
ईडी गवाहों को फंसाने और अफसरों पर दबाव
मरांडी ने कहा कि अनुराग गुप्ता के कहने पर पुलिस ने ईडी अधिकारियों के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज किए। हाईकोर्ट को हस्तक्षेप कर रोक लगानी पड़ी। तीन गवाहों को जेल भेजा गया और राज्य सेवा के अफसरों को धमकाने का प्रयास किया गया ताकि वे ईडी के खिलाफ बोलें।
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प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन न देना – भ्रष्टाचार को संरक्षण
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पूजा सिंघल, छवि रंजन, आलमगीर आलम समेत 10 से अधिक मामलों में ईडी ने सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी है, लेकिन अब तक कोई सैंक्शन नहीं मिला। यह भ्रष्टाचार को राजनीतिक संरक्षण देने का प्रमाण है।
चुनाव आयोग की सजा के बावजूद फिर नियुक्ति
मरांडी ने बताया कि 2024 में चुनाव आयोग ने अनुराग गुप्ता को उनके पद के दुरुपयोग का दोषी पाया था और हटाने का आदेश दिया था। लेकिन चुनाव के बाद हेमंत सोरेन ने शपथ लेते ही उन्हें फिर से डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया।
ऑल इंडिया सर्विस रूल्स की अनदेखी, सुप्रीम कोर्ट की फटकार
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी 7 जनवरी को झारखंड सरकार ने ऑल इंडिया सर्विस रूल्स 1958 को दरकिनार कर खुद से डीजीपी चयन का नियम बना लिया और 3 फरवरी को उन्हें नियुक्त कर दिया, जबकि वे 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले थे। यह जानबूझकर किया गया ताकि उन्हें दो साल तक पद पर बनाए रखने का बहाना बन सके।
गृह मंत्रालय की आपत्ति को भी नजरअंदाज
मरांडी ने कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्ति पर आपत्ति जताई गई, लेकिन सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर जवाब में मंत्रालय को ही पुनर्विचार करने की सलाह दे दी। यह संवैधानिक संस्थाओं का अपमान है।
कोयला चोरी में वृद्धि, विधायक जयराम महतो का खुलासा
उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता के कार्यकाल में कोयले की चोरी बेतहाशा बढ़ी है। धनबाद में लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, रोज़ाना 500 से ज्यादा ट्रकों से कोयला चोरी हो रहा है। विधायक जयराम महतो ने तो यह आंकड़ा 700–800 ट्रक तक बताया है।
राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जब एक भ्रष्टाचार के आरोपी को राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की बागडोर सौंपी जाती है, तो यह तालीबानी शासन जैसा प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि झारखंड का भविष्य खतरे में है और यह सत्ता का चरम दुरुपयोग है।
डीजीपी की त्वरित नियुक्ति की मांग
मरांडी ने अंत में राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह अविलंब संविधानसम्मत प्रक्रिया अपनाते हुए डीजीपी की नियुक्ति करे और प्रशासन को निष्पक्ष हाथों में सौंपे।
प्रेसवार्ता में भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता अजय साह भी मौजूद थे।