सीपीएम ने मुहर्रम के जुलूस के दौरान फिलीस्तीनी झंडा लहराए जाने पर दर्ज किए गए अपराधिक मुकदमों को अविलंब वापस लेने की मांग की है। यह मुकदमें जम्मू और कश्मीर, बिहार, मध्यप्रदेश और झारखंड से रिपोर्ट किए गए हैं। इन मुकदमों को भाजपा और विहिप की शिकायत पर गैर कानूनी गतिविधियों की रोकथाम वाले कानून (यूएपीए) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत दर्ज किया गया है।
भाजपा शासित राज्यों में मुकदमे
झारखंड को छोड़कर जहां भी इन मुकदमों को दर्ज किया गया है, वे या तो भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा शासित राज्य हैं या फिर सीधे केंद्र सरकार के अधीन शासित राज्य हैं। झारखंड में भी इस तरह का मुकदमा दर्ज किए जाने की सूचना मिली है, जो कि चिंताजनक है। हेमंत सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
भाजपा के दावों की हकीकत
भाजपानीत सरकार एक ओर फिलिस्तीन राज्य के समर्थन का दावा करती है, लेकिन दूसरी ओर इस तरह के मुकदमे दर्ज करवाती है, जिससे उसकी सच्चाई उजागर हो गई है। उसे भारत की जनता द्वारा फिलीस्तीन का समर्थन किया जाना बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
सीपीएम की मांग
सीपीएम ने मांग की है कि इन मुकदमों को अविलंब वापस लिया जाए और फिलीस्तीन के साथ एकजुटता प्रकट करने पर गिरफ्तार किए गए लोगों को तुरंत रिहा किया जाए। केंद्र सरकार को बिना किसी विवाद के फिलीस्तीन के साथ एकजुटता व्यक्त करनी चाहिए और इस्राइल से मांग करनी चाहिए कि वह फिलीस्तीन भू-भाग से अपना जबरन कब्जा हटाए। साथ ही, 1967 के पूर्व की सीमा स्थिति को बहाल करे और पूर्वी जेरुसलम को फिलीस्तीन की राजधानी घोषित किया जाए