खाद्यान्न की कालाबाजारी से मजदूरों का हक छीना जा रहा: मोटिया मजदूर संघ अध्यक्ष संतोष सोनी का आरोप
🔹 मुख्य बिंदु
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हटिया रैक से लोड गेहूं को नियमानुसार एफसीआई डिपो के बजाय सीधे ब्लॉक भेजा गया
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मजदूरों को दोहरी मजदूरी से वंचित कर की गई खाद्यान्न कालाबाजारी की कोशिश
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ट्रक ड्राइवर ने स्वीकारा कि उसे ट्रांसपोर्टर ने डायवर्ट करने का आदेश दिया
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गुमला के ट्रांसपोर्ट एजेंट रामप्रसाद सोनी से मांगा गया स्पष्टीकरण
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कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी
🏗️ मजदूरों के हक पर हमला, कालाबाजारी की साजिश उजागर
झारखंड राज्य खाद्य निगम के मोटिया मजदूर संघ के केंद्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सोनी ने एक सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि कुछ अधिकारी और ट्रांसपोर्टर मिलकर मजदूरों का हक छीनने का घिनौना खेल खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हटिया रैक से लोड गेहूं से भरे ट्रक (ओडी16ई – 7853) को गुमला स्थित एफसीआई डिपो भेजे जाने के बजाय कामडारा ब्लॉक में उतारने का निर्देश ट्रांसपोर्टर ने दिया।
इस पूरे मामले की पुष्टि ट्रक चालक मधु ने स्वयं की है। श्री सोनी का आरोप है कि यह घटना न केवल नियमों के विरुद्ध है, बल्कि मजदूरों की दोहरी मजदूरी का हक भी छीनने का प्रयास है।

🚚 नियमानुसार कैसे होता है खाद्यान्न का वितरण?
सोनी ने बताया कि खाद्यान्न वितरण की प्रक्रिया के तहत:
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ट्रक रैक से सीधा एफसीआई डिपो पहुंचता है
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वहां एफसीआई मजदूर खाद्यान्न को खाली कर गोदाम में स्टैक करते हैं
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फिर झारखंड राज्य खाद्य निगम (JSFC) के मजदूर उसे दोबारा लोड कर अपने गोदामों में भेजते हैं
इस तरह से मजदूरों को दो बार काम करने का अवसर और पारिश्रमिक प्राप्त होता है।

🛑 नियमों का उल्लंघन, एफसीआई व निगम अधिकारियों पर सवाल
इस प्रकरण में यह भी जानकारी सामने आई है कि उसी दिन कामडारा के अलावा बसिया में दो और पालकोट में एक ट्रक डायवर्ट किया गया। इससे यह संकेत मिलता है कि यह कोई एकल घटना नहीं, बल्कि एक बड़े नेटवर्क की साजिश है।
सोनी ने आरोप लगाया कि एफसीआई और झारखंड राज्य खाद्य निगम के कुछ अधिकारी ट्रांसपोर्टरों से मिलीभगत कर खाद्यान्न की कालाबाजारी में संलिप्त हैं।

प्रबंध निदेशक ने मांगा स्पष्टीकरण
मामले के उजागर होने के बाद झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड, रांची के प्रबंध निदेशक सत्येंद्र कुमार ने गुमला के परिवहन-सह-हथालन अभिकर्ता रामप्रसाद सोनी से जवाब तलब किया है।
जारी स्पष्टीकरण में स्पष्ट किया गया है कि रैक से लदा खाद्यान्न केवल एफसीआई डिपो तक ही पहुंचाया जा सकता है। उसे किसी भी अन्य स्थान पर ले जाना सरकारी प्रक्रिया के खिलाफ है और यह स्पष्ट रूप से खाद्यान्न कालाबाजारी की मंशा को दर्शाता है।
आंदोलन की चेतावनी, कार्रवाई की मांग
संतोष सोनी ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि विभाग द्वारा संबंधित ट्रांसपोर्टर और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है, तो मजदूर संगठन को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा, “मजदूरों का निवाला छीनने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी।”
झारखंड में खाद्यान्न वितरण से जुड़े इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिस्टम में भ्रष्टाचार और मिलीभगत कितनी गहराई तक पहुंच चुकी है। यदि इस पर तत्काल और कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो ना केवल मजदूरों का अधिकार छीना जाएगा, बल्कि राज्य की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था भी संदेह के घेरे में आ जाएगी।
रिपोर्ट: News Monitor Team
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