वित्त रहित शिक्षक- “भीख नहीं, अधिकार चाहिए। अनुदान नहीं, वेतन चाहिए”

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वित्तीय वर्ष 2024-25 में अनुदान प्रक्रिया में देरी, शिक्षकों का विरोध तेज

अनुदान प्रपत्र भरने का बहिष्कार

31 जनवरी तक वित्तीय वर्ष 2024-25 के अनुदान प्रपत्र भरने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो राज्य के इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और मदरसा विद्यालय अनुदान प्रपत्र नहीं भरेंगे। यह निर्णय सर्वोदय बाल निकेतन उच्च विद्यालय, धुर्वा में प्राचार्यों और शिक्षक प्रतिनिधियों की बैठक में लिया गया।

पूर्व की तुलना में अनुदान प्रक्रिया में देरी

  • पहले प्रत्येक वर्ष अक्टूबर तक अनुदान प्रपत्र भरने की प्रक्रिया समाप्त हो जाती थी।
  • नवंबर तक जैक और जिला शिक्षा पदाधिकारी जांच कर विभाग को अनुशंसा भेज देते थे।
  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में पोर्टल बनाने में देरी हुई, और 25 मार्च को होली के बाद अनुदान वितरण की प्रक्रिया शुरू हो सकी। इसके कारण खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम जिलों के अनुदान की राशि लैप्स हो गई।

वर्तमान स्थिति

  • विभागीय पोर्टल अब तक तैयार नहीं हो सका है।
  • दिल्ली की एक एजेंसी को पोर्टल निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन 1 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी काम अधूरा है।
  • अंतिम समय में फिर ऑफलाइन प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।

शिक्षकों की मांग

  • अनुदान की राशि सीधे संस्थानों के खातों में भेजी जाए।
  • शिक्षकों ने अनुदान प्रक्रिया को “भीख” समान बताते हुए, वेतनमान के रूप में सीधे भुगतान की मांग की है।
  • अनुदान के नाम पर जिला कोषागार और शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में 10-15% राशि खर्च हो जाती है।

शिक्षकों का नारा

“भीख नहीं, अधिकार चाहिए। अनुदान नहीं, वेतन चाहिए।”

 

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