नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, विचारधारा आज भी प्रासंगिक
आज 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर पूरे देश में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें उनके अनुयायी ‘नेता जी’ के नाम से पुकारते हैं, का जन्म 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका बेमिसाल रही है। उनके नारों—’तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ और ‘दिल्ली चलो’—ने करोड़ों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया।
सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा
नेता जी की सोच भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और एकजुट राष्ट्र बनाने की थी। वे स्वतंत्रता को केवल राजनीतिक आज़ादी तक सीमित नहीं मानते थे, बल्कि इसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्वाधीनता का प्रतीक मानते थे। बोस का मानना था कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति मजबूत नेतृत्व और सामूहिक प्रयासों के बिना संभव नहीं है।
वर्तमान भारत में उनकी विचारधारा की प्रासंगिकता
1. आत्मनिर्भर भारत का निर्माण
बोस के ‘स्वदेशी’ और आत्मनिर्भरता पर दिए गए ज़ोर की गूंज आज भी सुनाई देती है। वर्तमान में भारत ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत आर्थिक स्वतंत्रता की ओर अग्रसर है, जो बोस की सोच के अनुरूप है।
2. युवा नेतृत्व और सशक्तिकरण
नेता जी ने युवाओं को राष्ट्र निर्माण की धुरी माना। आज जब भारत में युवा बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, उनके विचार और नेतृत्व क्षमता एक आदर्श के रूप में देखी जा सकती है।
3. सामाजिक समरसता और समानता
जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर बोस ने एकजुट भारत का सपना देखा था। वर्तमान समय में, जब समाज में एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, उनकी यह विचारधारा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
4. राष्ट्रवाद और बलिदान की भावना
सुभाष चंद्र बोस का राष्ट्रवाद और त्याग आज भी देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता की प्रेरणा देता है। यह दृष्टिकोण न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में भी प्रासंगिक है।
5. मजबूत विदेश नीति
बोस का मानना था कि भारत को अपने हितों के लिए स्वतंत्र और सशक्त विदेश नीति अपनानी चाहिए। वर्तमान में, जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है, उनकी यह सोच प्रेरक है।
सुभाष चंद्र बोस केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता और प्रेरणा स्रोत थे। उनकी सोच आज के भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मार्गदर्शन करती है। उनकी विचारधारा को अपनाकर हम एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
नेता जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।