सरायकेला मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का गृह जिला है। लिहाजा, भाजपा की लोकसभा से सिंहभूम की प्रत्याशी गीता कोड़ा पर हुए हमले में सीएम की भी संलिपिता से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसा कहना है बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का। आपको बता दें कि, 14 अप्रैल को चुनाव प्रचार के दौरान गीता कोड़ा पर स्थानीय लोगों के द्वारा बंधक बनाए जाने और मारपीट किए जाने की बात सामने आई है। बीजेपी और गीता कोड़ा ने इसके लिए सीधे तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को जिम्मेदार ठहराया है। इस बाबत मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार से भाजपा ने लिखित शिकायत भी दर्ज कराई है। साथ ही स्थानीय थाने में प्राथमिकी की भी दर्ज कराई जा रही है।
बीजेपी ने जो वीडियो फुटेज शेयर किया है उसे देखें तो पता चलता है कि, गीता कोड़ा अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार कर रही थी। इसी दौरान ग्रामीणों के द्वारा उन्हें बंधक बनाया गया। ग्रामीणों के हाथों में लाठी डंडे भी हैं। गीता कोड़ा स्थानीय ग्रामीणों को समझाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन वे बेहद नाराज हैं।
दरअसल, गीता कोड़ा कांग्रेस की सिंहभूम से सांसद थी लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी बदल ली और मोदी के परिवार में शामिल हो गई। हो सकता है कि, ग्रामीण इस बात को लेकर नाराज हों। हालांकि, भाजपा इसके लिए सीधे तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को जिम्मेदार ठहरा रही है। बाबूलाल की तरफ से जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है उसमें लिखा गया है की अपनी हार को देखर झामुमो के नेता और कार्यकर्ताओं ने गीता कोड़ा और उनके सहयोगियों पर चुनाव प्रचार के दौरान हमला किया है। जिसकी जितनी भी निंदा की जाए वह काम है। प्रेस विज्ञप्ति में आगे लिखा गया है कि, यह सिर्फ गीता कोड़ा पर नहीं बल्कि सिंहभूम की जनता पर हमला है।
अब सवाल उठता है कि, क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाली और वर्तमान में बीजेपी की दुमका से लोकसभा प्रत्याशी सीता सोरेन भी स्थानीय ग्रामीणों के गुस्से का शिकार हो सकती हैं। क्योंकि उन्होंने भी झामुमो छोड़कर बीजेपी में शामिल होना बेहतर समझा है।