झारखंड में मैट्रिक पेपर लीक: सरकारी नाकामी या…
झारखंड में एक बार फिर परीक्षा प्रणाली की साख पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मैट्रिक की विज्ञान और हिंदी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होकर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और जब परीक्षा शुरू हुई तो पेपर हूबहू वही निकला। यह घटना राज्य की शिक्षा व्यवस्था की नाकामी को उजागर करती है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि यह सिर्फ लापरवाही है या किसी बड़े पेपर लीक माफिया का संगठित षड्यंत्र?
हेमंत सरकार की छवि पर गहरा धक्का
हेमंत सोरेन सरकार पहले ही JSSC-CGL पेपर लीक कांड को लेकर कठघरे में थी। अब मैट्रिक परीक्षा का पेपर लीक होना यह दर्शाता है कि सरकार की नीयत या तो साफ नहीं है, या फिर उसकी प्रशासनिक पकड़ बेहद कमजोर हो चुकी है। यह पहला मौका है जब राज्य में मैट्रिक स्तर की परीक्षा का पेपर लीक हुआ है, और इसे रोकने में सरकार पूरी तरह विफल रही है।
किसकी है मिलीभगत?
ऐसा नहीं है कि यह कोई अचानक हुई घटना है। झारखंड में सरकारी परीक्षाओं के पेपर लीक होने की घटनाएं अब लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन हर बार लीपापोती कर मामले को दबाने की कोशिश करते हैं। यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या पेपर लीक माफिया को सरकारी संरक्षण मिला हुआ है? अगर नहीं, तो आखिर क्यों बार-बार परीक्षाओं में गड़बड़ी हो रही है और दोषी अब तक सलाखों के पीछे क्यों नहीं हैं?
जैक अध्यक्ष ने मानी गलती, शिक्षा विभाग चुप क्यों?
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है कि पेपर लीक हुआ है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी सच्चाई छुपाने और लीपापोती में जुटे हैं। इससे साफ संकेत मिलता है कि या तो विभाग के अंदरूनी लोग इसमें संलिप्त हैं, या फिर वे सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं।
क्या इस्तीफे और सीबीआई जांच ही हल हैं?
इस मामले में शिक्षा मंत्री और जैक अध्यक्ष से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की मांग उठ रही है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे झारखंड में परीक्षा तंत्र की साख बहाल हो जाएगी? बार-बार हो रहे पेपर लीक को देखते हुए, केवल इस्तीफे मांगने से ज्यादा सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे, और सीबीआई जांच से यह स्पष्ट करना होगा कि असली दोषी कौन हैं।
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कब तक?
झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं और अब बोर्ड परीक्षाओं के पेपर लीक से छात्रों का भविष्य खतरे में है। अगर सरकार इस पर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाती है, तो यह राज्य की शिक्षा प्रणाली के लिए गंभीर संकट साबित हो सकता है। पेपर लीक केवल एक प्रशासनिक नाकामी नहीं बल्कि छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ है, और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
बाबूलाल मरांडी का कड़ा हमला
झारखंड में विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेर लिया है। भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को पेपर लीक माफिया बताते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि—
“हेमंत सरकार पेपर लीक माफिया के रूप में कुख्यात हो चुकी है। JSSC-CGL परीक्षा के बाद अब मैट्रिक परीक्षा का पेपर लीक होना बताता है कि सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। शिक्षा मंत्री और जैक अध्यक्ष नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल इस्तीफा दें, और राज्य सरकार सीबीआई जांच की अनुशंसा करे।”