मुख्य बिंदु.
- 50 झारखंडी श्रमिकों की वापसी: 11 से 18 दिसंबर के बीच स्वदेश लौटेंगे।
- विलंब का कारण: चुनाव आचार संहिता के कारण प्रक्रिया धीमी हो गई।
- शिकायतें:
- चार महीने से वेतन लंबित।
- भोजन की अनुपलब्धता।
- धमकियों का सामना।
- कार्यवाही:
- श्रमिकों ने पुलिस और श्रम विभाग से शिकायत की।
- भारतीय दूतावास ने सत्यापन कर समाधान निकाला।
- वेतन विवाद: अनुबंधित 1,700 रिंगिट के बजाय 1,500 रिंगिट दिया जा रहा था।
- सरकार की पहल: श्रमिकों की घर वापसी और उनका बकाया वेतन सुनिश्चित किया गया।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पहल: 50 झारखंडी कामगारों की स्वदेश वापसी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पहल पर विदेश में फंसे 50 झारखंडी श्रमिकों को स्वदेश लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आगामी 11 से 18 दिसंबर के बीच सभी श्रमिक अपने घर लौट आएंगे। इससे जुड़ी सभी कागजी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं।
चुनाव के कारण विलंब, अब वापसी का रास्ता साफ
- मलेशिया की लीडमास्टर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे 70 भारतीय श्रमिकों की शिकायत 24 सितंबर 2024 को झारखंड के प्रवासी नियंत्रण कक्ष को मिली।
- शिकायत में चार महीने से वेतन न मिलने, भोजन की कमी और वतन वापसी में समस्याओं का जिक्र था।
- मुख्यमंत्री को जानकारी मिलते ही प्रयास शुरू हुए, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने से प्रक्रिया धीमी पड़ गई।
- नई सरकार बनने के बाद अब श्रमिकों की वापसी सुनिश्चित की जा रही है।
- 70 श्रमिकों में से 50 झारखंड के हैं, बाकी अन्य राज्यों के हैं।
श्रमिकों को बकाया वेतन दिलाया गया
- अनुबंध के अनुसार श्रमिकों को 1,700 मलेशियन रिंगिट वेतन मिलना था, लेकिन उन्हें केवल 1,500 रिंगिट दिए गए।
- इसमें भी कटौती की गई, और उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ा।
- भोजन की व्यवस्था भी नहीं थी, जिसके कारण श्रमिकों ने मलेशियाई पुलिस से शिकायत की।
- भारतीय श्रम विभाग की पहल पर भारतीय दूतावास, कुआलालंपुर ने कंपनी और श्रमिकों को बुलाकर सत्यापन किया।
- सत्यापन के बाद कंपनी को श्रमिकों का बकाया भुगतान और भारत वापसी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।