झारखंड पुलिस में अपनी सेवाएं देने वाले गरीब 2500 सहायक पुलिसकर्मी तीसरी बार राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में जुटे हैं। इनकी मांग है कि, इन्हें सीधे पुलिस बल में समायोजित किया जाए। फिलहाल, उन्हें ₹10,000 प्रतिमाह के मानदेय पर काम कराया जाता है।
नियुक्ति और सेवा विस्तार
रघुवर दास की सरकार में साल 2017 में इनकी नियुक्ति हुई थी। इसके बाद दो बार सेवा विस्तार मिला। अगस्त तक सभी 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त होने वाली है। लिहाजा, ये लोग पुलिस बल में सीधे समायोजन की मांग कर रहे हैं।
आंदोलन और आश्वासन
अपनी मांगों को लेकर ये लोग दो बार मोरहाबादी मैदान में आंदोलन कर चुके हैं। पहली बार कैबिनेट मंत्री मिथिलेश ठाकुर के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित किया गया। दूसरी बार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के मौखिक आश्वासन पर आंदोलन रोक दिया। दोनों ही बार सरकार ने अपने आश्वासन को पूरा नहीं किया।
मानदेय और सुविधाओं की कमी
सहायक पुलिसकर्मियों के अनुसार, ₹10,000 में 24 घंटे की सेवा देना अब मुमकिन नहीं है। उन्हें कोई विशेष सुविधा नहीं मिलती, महिलाओं को विशेष अवकाश भी नहीं दिया जाता है। अपने वर्दी के लिए भी पैसा खुद खर्च करना पड़ता है। स्वास्थ्य बीमा का भी लाभ नहीं मिला है। इन समस्याओं का समाधान सिर्फ पुलिस बल में समायोजन ही हो सकता है।
भेदभाव और प्रताड़ना के आरोप
सहायक पुलिसकर्मियों का आरोप है कि उन्हें जिला पुलिस में दोयम दर्जे का समझा जाता है। काम में भी भेदभाव किया जाता है, जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। 2500 सहायक पुलिसकर्मियों ने कहा है कि जब तक उनका समायोजन नहीं होता, वे रांची छोड़ने वाले नहीं हैं।