झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश और श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग की त्वरित पहल पर दक्षिण अफ्रीका के कैमरून के याउंडे में विनायक कंस्ट्रक्शन, फेस जेंडरमेरी, अप्रेस ऑडिटोरियम और जीन पॉल टू मबांकलो कंपनी में कार्यरत झारखंड के 27 श्रमिकों की आज सुबह सुरक्षित अपने घर वापसी हो गई।
गिरिडीह में श्रमिकों का स्वागत
श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता, मंत्री बैद्यनाथ राम, मंत्री बेबी देवी, विधायक कल्पना सोरेन और विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने श्रमिकों के आज गिरिडीह पहुंचने पर उनका स्वागत किया। उन्होंने श्रमिकों से बात कर उनकी पूरी व्यथा सुनी। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भी मोबाइल के जरिए श्रमिकों से संवाद किया और उन्हें राज्य सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। श्रमिकों ने विकट परिस्थितियों में दक्षिण अफ्रीका से वापस अपने घर झारखंड लौटने के लिए राज्य सरकार की पहल के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।
दक्षिण अफ्रीका में फंसे श्रमिक
दक्षिण अफ्रीका में फंसे 27 श्रमिकों में बोकारो के 18, गिरिडीह के 4, और हजारीबाग के 5 श्रमिक शामिल हैं। ये सभी श्रमिक इस वर्ष 29 मार्च से वहां काम कर रहे थे। उन्होंने 16 जुलाई को एक्स हैंडल पर 4 महीने से पारिश्रमिक बकाया रहने और वापस भारत लौटने की इच्छा जताई थी।
मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
मुख्यमंत्री ने इसकी जानकारी प्राप्त होते ही श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग को आवश्यक पहल करने का निर्देश दिया। वहीं, POE, रांची को सचिव, श्रम विभाग की ओर से मामले पर संज्ञान लेने हेतु पत्र भेजा गया। पत्र के माध्यम से कामगारों को उनका बकाया पारिश्रमिक और उनकी सुरक्षित झारखंड वापसी की दिशा में पहल करने को कहा गया।
श्रमिकों को बकाया पारिश्रमिक और हवाई टिकट की व्यवस्था
श्रम विभाग के तहत कार्यरत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष द्वारा L&T कंपनी से संपर्क कर निर्देशित किया गया कि जल्द से जल्द श्रमिकों के बकाया पारिश्रमिक का भुगतान किया जाए। इस संबंध में कोलकत्ता हेड ऑफिस से संपर्क कर पुनः कैमरून, दक्षिण अफ्रीका को मामले से अवगत कराया गया। राज्य सरकार की इस पहल के बाद L&T कंपनी ने 17 जुलाई को सभी 27 श्रमिकों को 3 महीने के बकाया पारिश्रमिक के रूप में 30 लाख रुपए का भुगतान किया। श्रमिकों ने बकाया पारिश्रमिक मिलने की जानकारी वीडियो के माध्यम से राज्य सरकार को दी। कंपनी ने श्रमिकों को भारत वापस भेजने के लिए एयर टिकट की भी व्यवस्था की। 21 जुलाई को सभी श्रमिक वहां से भारत के लिए उड़ान भरे। 22 जुलाई को मुंबई पहुंचे और फिर ट्रेन से आज सुबह झारखंड के पारसनाथ स्टेशन पर आगमन हुआ।