झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में धर्म संप्रदाय विशेषकर मुसलमान और इस्लाम के विरुद्ध सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
दो पन्नों के पत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से कहा गया है कि, चाईबासा, पलामू और मेदिनीनगर के साथ ही गुमला के सिसई में पीएम ने गैर संसदीय भाषा का प्रयोग किया है। मुस्लिम समुदाय के विषय में नफरती शब्दों का इस्तेमाल किया गया। यह न केवल सांप्रदायिक सौहार्द को विचलित करने वाला है। बल्कि, झारखंड जैसे शांतिपूर्वक राज्य जिसमें आदिवासी और मूलवासी समाज की साझा विरासत है को खंडित भी करता है।
पत्र में आगे कहा गया है कि, भारत के समृद्ध और मजबूत लोकतंत्र की रक्षा के लिए आम निर्वाचन में सभी राजनीतिक दलों को दिए गए आपके द्वारा निर्देशित भाषा के मापदंड को सख्ती से पालन होना चाहिए। भाजपा के किसी भी स्तर के स्टार प्रचारक धर्म संप्रदाय के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी ना करें। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि, भारतीय जनता पार्टी जो एक राष्ट्रीय दल के तौर पर मान्यता रखता है उससे राष्ट्रीय दल की मान्यता को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनसे 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांग कर सार्वजनिक किया जाए।
प्रधानमंत्री के दो दिवसीय दौरे पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह प्रधानमंत्री के स्तर का नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि, प्रधानमंत्री अपने 10 साल के कामकाज के आधार पर वोट नहीं मांग रहे हैं बल्कि देश को डाइवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।