झारखंड के कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम को देर शाम ED ने टेंडर कमीशन घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया। आज उनको पीएमएलए कोर्ट में पेश किया जाएगा और ईडी की तरफ से रिमांड मांगी जाएगी। देखना होगा कि, ईडी को कितने दिनों की रिमांड मिलती है। आपको बता दें कि, करीब 6 घंटे की पूछताछ के दूसरे दिन आलमगीर आलम को गिरफ्तार किया गया। 6 मई को उनके पीएस संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर से 30 करोड़ से अधिक की राशि नकद बरामद की गई थी। इस मामले में ही आलमगीर आलम से पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट किया गया।
इस बीच एक महत्वपूर्ण डेवलपमेंट यह भी है कि, आलमगीर आलम ने अबतक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। ना तो पार्टी की ओर से इस्तीफा मांगा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा है कि, अभी आधिकारिक तौर पर आलमगीर आलम मामले की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। इस्तीफे को लेकर आगे बातचीत होगी लेकिन यह देखना बेहद जरूरी है की पैसों की बरामदगी कहां से हुई और गिरफ्तारी किनकी हुई।
आपको बता दें कि, इससे पहले 31 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लैंडस्कैम मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन पद से इस्तीफा दे देते हैं। हालांकि ठीक इसी तरह की स्थिति दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने भी आती है। हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया। जेल के अंदर रहते हुए भी वे पद पर बने रहे। अरविंद केजरीवाल की ओर से यह कहा भी गया कि, हेमंत सोरेन को इस्तीफा नहीं देना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो वे आज भी मुख्यमंत्री बने रहते.
आलमगीर आलमगीर की गिरफ्तारी के बाद भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने है। न्यूज़ मॉनिटर से बातचीत करते हुए कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि, यह पॉलिटिकल गिरफ्तारी है। विष्णु अग्रवाल पर सेना की जमीन खरीद फरोख्त का मामला चल रहा है। उन्हें जमानत मिल जाती है और वे केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को फूल का गुलदस्ता भेंट करते हैं। दूसरी तरफ जिनके ऊपर कोई मामला दर्ज नहीं है उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। बाबूलाल मरांडी का कहना है कि, ईडी अपना काम कर रही है और जिसने भी गलत किया है उसपर कानून सम्मत कार्रवाई होना लाजमी है।