क्या झारखंड में भाजपा बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के बावजूद पार्टी बाबूलाल मरांडी पर विश्वास बनाए रखेगी। झारखंड चुनाव के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव मरांडी की अगुवाई में ही लड़ेगी, हालांकि, मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इस पर अभी कोई स्पष्टता नहीं है।
बाबूलाल मरांडी और बीजेपी: झारखंड में बदलते समीकरण
झारखंड विकास मोर्चा के बीजेपी में विलय के बाद, बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर स्थापित करने का प्रयास हुआ। जब इसमें सफलता नहीं मिली, तो उन्हें झारखंड बीजेपी की कमान सौंप दी गई। आदिवासी समाज से आने और झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री होने के नाते, मरांडी को दिल्ली में खास तवज्जो मिली। उनकी निगरानी में झारखंड में लोकसभा चुनाव लड़ा गया, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। आदिवासी रिजर्व पांच सीटों में से बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली, जिससे संकेत मिला कि आदिवासी समाज बीजेपी से दूर हो रहा है। इससे मरांडी की राजनीतिक पकड़ कमजोर होती दिखी।
राजनीतिक भविष्य पर संकट: बाबूलाल मरांडी की चुनौती
रांची में चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और सह चुनाव प्रभारी हेमंता बिस्वा शरमा जब पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उस दौरान बाबूलाल मरांडी चुपचाप सवालों और जवाबों को सुन रहे थे। मरांडी जानते हैं कि यह उनके लिए परीक्षा की घड़ी है। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन उनकी साख पर बट्टा लगा चुका है। आगामी विधानसभा चुनाव में भी अगर परिणाम अपेक्षित नहीं मिले, तो उनका राजनीतिक भविष्य संकट में पड़ सकता है।
क्या बाबूलाल मरांडी को मिला आखिरी मौका?
लोकसभा चुनाव परिणाम चाहे जो भी रहे हों, फिलहाल बीजेपी बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में ही आगे बढ़ती दिख रही है। शिवराज सिंह चौहान ने भी पुष्टि की है कि मरांडी के नेतृत्व में ही आगामी विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री कौन होंगे, इस बारे में अभी कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बाबूलाल मरांडी को एक और मौका मिला है? क्या यह उनके लिए आखिरी मौका है? अगर वे इस बार भी खुद को साबित नहीं कर पाते हैं तो उनका राजनीतिक सफर पर विराम लग सकता है।