नीड बेस सहायक प्राध्यापकों की समस्याओं को लेकर विधानसभा में मुलाकात
रांची, 12 मार्च 2025: नीड बेस सहायक प्राध्यापकों ने विधानसभा में अपनी समस्याओं को उठाने के लिए झारखंड विधानसभा में विधायक प्रदीप यादव से मुलाकात की और उनका आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि “अबुआ सरकार” ही उनकी समस्याओं का समाधान कर सकती है। विगत सात वर्षों से उच्च शिक्षा में योगदान देने के बावजूद उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
समायोजन की मांग
नीड बेस सहायक प्राध्यापकों ने सरकार से अनुरोध किया कि वे उनकी सेवाओं को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हुए पहले उन्हें समायोजित करें और उसके बाद अन्य नियुक्तियां शुरू करें। प्राध्यापकों ने बताया कि संयुक्त बिहार के दौरान वर्ष 1978, 1980 और 1982 में Ranchi University ने स्टेच्यूट के माध्यम से कुछ महीनों की सेवा के बाद ही नियमितीकरण किया था। जबकि वर्तमान में सभी सहायक प्राध्यापक MA, M.Com, M.Sc, NET/JET, PhD जैसी उच्चतम योग्यताओं को प्राप्त कर चुके हैं।
रिक्त पदों को भरने की मांग
रांची विश्वविद्यालय नीड बेस सहायक प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. त्रिभूवन कुमार साही ने कहा कि राज्य के विभिन्न अधीनस्थ विश्वविद्यालयों में 4317 स्वीकृत पदों में से 2808 पद रिक्त हैं। अगस्त-अक्टूबर 2023 में झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) को असिस्टेंट प्रोफेसर के 2404 पदों के लिए अधियाचना भेजी गई थी, लेकिन इसमें जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के लिए पदों का सृजन नहीं हुआ।
नीड बेस सहायक प्राध्यापकों ने मांग की कि इन 2404 रिक्त पदों में से 700 पदों को उनके लिए आरक्षित किया जाए और उनकी सेवाओं का समायोजन/नियमितीकरण किया जाए।
नीड बेस सहायक प्राध्यापकों की समस्याएं
हजारीबाग से आए डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि नीड बेस सहायक प्राध्यापक सिर्फ शिक्षण कार्य ही नहीं कर रहे, बल्कि परीक्षा मूल्यांकन, प्रश्न पत्र निर्माण, चुनाव कार्य, विभागीय प्रशासनिक कार्यों सहित कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। बावजूद इसके, उन्हें निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
- अस्थायी मानदेय: यूजीसी बेसिक पे के समतुल्य अधिकतम ₹57,700/- का वेतन मिलता है, लेकिन कक्षा नहीं लेने पर ₹900/- प्रति कक्षा की कटौती की जाती है।
- अनिश्चित सेवा स्थिति: स्थायी नौकरी की कोई गारंटी नहीं है।
- अवकाश और सुविधाओं का अभाव: कोई स्वीकृत अवकाश, मातृत्व लाभ या चिकित्सा भत्ता नहीं दिया जाता।
- सेवा सुरक्षा की कमी: वर्षों से कार्यरत होने के बावजूद स्थायीकरण नहीं किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप समायोजन की जरूरत
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुसार, उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को दूर करने और शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए नीड बेस असिस्टेंट प्रोफेसरों का समायोजन किया जाना चाहिए। रांची विश्वविद्यालय की संजू कुमारी ने विधायक को जानकारी दी कि वर्ष 1978, 1980 और 1982 में 18 से 24 महीने की सेवा के बाद असिस्टेंट प्रोफेसरों का नियमितीकरण किया गया था। हिमाचल प्रदेश में भी दो वर्षों की सेवा के बाद अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को नियमित किया गया।
नीड बेस सहायक प्राध्यापकों का अपील
डॉ. मुकेश उरांव ने कहा कि उनकी योग्यता और लंबी सेवा अवधि को देखते हुए उनकी सेवाओं की सुरक्षा के लिए कल्याणकारी नीति बनाई जानी चाहिए। इससे शिक्षकों को गरिमापूर्ण जीवन यापन करने का अवसर मिलेगा और वे पूरी निष्ठा से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे सकेंगे।
विधायक प्रदीप यादव का आश्वासन
विधायक प्रदीप कुमार यादव ने नीड बेस सहायक प्राध्यापकों की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद आश्वासन दिया कि उनकी मांगें जायज हैं। उन्होंने प्राध्यापकों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने का सुझाव दिया और कहा कि वे सरकार पर दबाव बनाकर उनकी मांगों को पूरा करवाने का प्रयास करेंगे।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोग
इस बैठक में झारखंड के विभिन्न जिलों से सैकड़ों नीड बेस सहायक प्राध्यापक शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. त्रिभुवन शाही, डॉ. मुकेश उरांव, डॉ. उषा कीड़ो, डॉ. राजश्री इंदौर, डॉ. कन्हैयालाल, डॉ. अभिषेक गुप्ता, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. संजीव कुमारी, डॉ. संजय कुमार, डॉ. मनोज कक्षा, डॉ. जितेंद्र सिंह, डॉ. मल्टी लकड़ा, डॉ. श्याम प्रकाश, डॉ. मृत्युंजय कोईरी, डॉ. विजय कुमार, डॉ. कर्म कुमार, डॉ. बालापन्ना, डॉ. मधुमिता मिंज, डॉ. जूरा होरो, डॉ. जीतु लाल, डॉ. आभा कुमारी, डॉ. अश्वनी कुमार सिंह, डॉ. सुनीता सिंह, डॉ. करुणा खलखो, डॉ. कंचन बरनवाल, डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ. सतीश कुमार, डॉ. रोशन कुमार, डॉ. संगीता कुमारी, डॉ. फरहान रहमान, डॉ. रंजीत प्रसाद रजक, डॉ. जितेंद्र कुमार, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. मार्गरेट कुजूर, डॉ. सुनीता कुमारी, डॉ. राजकुमार पाणिग्रही, डॉ. मालती बगिसा लकड़ा, डॉ. नीलू कुमारी, डॉ. अनिता कुमारी, डॉ. अहिल्या कुमारी, डॉ. बिंदेश्वर साहू और डॉ. शाहिद सहित कई अन्य शिक्षाविद शामिल थे।