Babulal Marandi Bicycle Scam

मरांडी ने उठाया सवाल: कल्याण विभाग ने बच्चों को थमाई पंचर और जाम साइकिलें.

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बाबूलाल मरांडी का आरोप: झारखंड में बच्चों को दी जा रही कबाड़ साइकिलें, भ्रष्टाचार की खुली पोल

मुख्य बिंदु:

  • बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर उठाया सवाल

  • कल्याण विभाग द्वारा वितरित की गईं खराब साइकिलें

  • छात्र हाथ में पकड़ या कंधे पर लादकर घर लौटे

  • भ्रष्टाचार को बताया बच्चों की योजनाओं को नुकसान पहुंचाने वाला

  • अच्छी गुणवत्ता की साइकिलें देने की मांग



भाजपा अध्यक्ष का बड़ा हमला

झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कल्याण विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से लिखा कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को जो साइकिलें दी जा रही हैं, वे पूरी तरह कबाड़ हैं। उन्होंने कहा कि साइकिलों की हालत इतनी खराब है कि बच्चे उन्हें चलाने के बजाय कंधे पर लादकर या हाथ में पकड़कर पैदल घर लौटने को मजबूर हैं।

टायर फटे, चेन जाम, हैंडल ढीले – कैसी योजना?

मरांडी ने पोस्ट में यह भी जिक्र किया कि कई साइकिलें पहले से पंचर थीं, उनके टायर-ट्यूब फटे हुए थे, चेन जाम थीं और हैंडल ढीले थे। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि ये कोई साइकिल वितरण योजना नहीं, बल्कि बच्चों को अपमानित करने की सरकारी योजना लगती है।

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“बच्चों की योजनाओं में भी घुस चुका है भ्रष्टाचार”

उन्होंने अपने पोस्ट में तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए लिखा कि राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि अब बच्चों की योजनाएं भी इससे अछूती नहीं रहीं। कल्याण विभाग की इस लापरवाही ने न केवल योजना की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

मरांडी की मांग: कबाड़ साइकिलें लौटाई जाएं

मरांडी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जितनी भी खराब साइकिलें बच्चों को दी गई हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए और उनकी जगह अच्छी गुणवत्ता वाली, सही स्थिति में साइकिलें दी जाएं। उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की है।

जनता से अपील और प्रशासन पर निशाना

अपने पोस्ट में बाबूलाल मरांडी ने जनता से अपील करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब सरकार की कथनी और करनी का फर्क जनता को बताना होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बच्चों को राहत देने की योजनाएं भी अब घोटालों का ज़रिया बन जाएंगी?

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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