मुख्य सचिव का निर्देश: जिला स्तर पर दूर करें इंफ्रास्ट्रक्चर बाधाएं
झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने राज्य के सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को प्राथमिकता दें और उनमें आ रही रुकावटों को जिला स्तर पर ही सुलझाएं। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे कारणों से प्रोजेक्ट रुकने से उनकी लागत बढ़ जाती है और राज्य का नुकसान होता है। अगर थोड़ा अतिरिक्त ध्यान दिया जाए, तो समस्याओं का समाधान जिला स्तर पर ही संभव है।
बाधित योजनाओं की समीक्षा
मुख्य सचिव नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई), रेलवे ओवरब्रिज और राज्य सड़क निर्माण विभाग की बाधित योजनाओं की समीक्षा कर रही थीं। इन योजनाओं में मुआवजा, भूमि अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लियरेंस और विधि व्यवस्था जैसी बाधाओं के कारण देरी हो रही है।
एनएचएआई की 38,483 करोड़ की योजनाएं चल रहीं
राज्य में एनएचएआई की 38,483 करोड़ रुपये की योजनाएं संचालित हैं। इसके अलावा, कई रेलवे ओवरब्रिज और राज्य सड़कों के विस्तार व चौड़ीकरण का काम जारी है। समीक्षा में बताया गया कि परियोजनाओं में देरी के कारण केंद्र सरकार से नई सड़क योजनाएं प्राप्त करने में समस्या हो रही है।
भूमि अधिग्रहण और मुआवजा बनी सबसे बड़ी बाधा
राज्य में सड़क निर्माण की सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, फॉरेस्ट क्लियरेंस और अन्य विवाद हैं। समीक्षा के दौरान उपायुक्तों ने आश्वासन दिया कि निर्माण में आ रही बाधाओं को तय समय सीमा के भीतर दूर किया जाएगा। मुख्य सचिव ने इस पर जोर दिया कि उपायुक्त अपनी तय समय सीमा का पूरी तरह पालन करें और समस्या समाधान के लिए समय सीमा बढ़ाई नहीं जाएगी।
विभागीय समन्वय से निकाले समाधान
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि उपायुक्त जिला स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यों की सतत निगरानी करें और अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न करने वालों पर कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि सभी विभागों के बीच समन्वय बनाते हुए योजनाओं को समय पर पूरा करें। विधि व्यवस्था, फॉरेस्ट क्लियरेंस और मुआवजा भुगतान के कारण कोई कार्य बाधित नहीं होना चाहिए।
समीक्षा बैठक में उपस्थित अधिकारी
समीक्षा बैठक में पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार, राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव चंद्रशेखर सहित एनएचएआई, वन विभाग आदि के अधिकारी उपस्थित थे। संबंधित उपायुक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।