सोरेन परिवार की पुत्रवधू सीता सोरेन का राजनीतिक भविष्य अब क्या होगा। दुमका लोकसभा सीट से उन्हे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा और बीजेपी की पूरी ताकत के बावजूद भी सीता सोरेन चुनाव हार गईं हैं। अब सीता सोरेन क्या करेंगी। क्या फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होंगी। या फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी करेंगी। या फिर अपनी बेटियों के लिए राजनीतिक जमीन की तलाश करेंगी।
क्या सीता सोरेन फिर से घर वापसी कर सकती हैं। क्या सीता सोरेन के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के दरवाजे बंद हो गए हैं। क्या सीता सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भारी गलती की है। क्या सीता सोरेन के सलाहकारों ने उन्हें डूबा दिया है। क्या सीता सोरेन राजनीति की पिच पर अनाड़ी खिलाड़ी निकली हैं। क्या सीता सोरेन को अपनी ग़लती का अब एहसास हो रहा है। क्या सीता सोरेन अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस ले पाएंगी। सवाल कई हैं लेकिन जवाब किसी का भी नहीं है।
भाजपा के लिए भी सीता सोरेन की हार एक झटके के जैसा है। सीता सोरेन को पार्टी में लाकर बीजेपी ने परिवार के साथ पार्टी को भी तोड़ा। अब सीता सोरेन भाजपा के लिए किस काम की हैं। क्या आगामी विधानसभा चुनाव में सीता सोरेन को संताल में फिर से उतारा जा सकेगा। रिजर्व सीट से चुनाव लड़ना अब सीता सोरेन के लिए मुश्किल होगा। लिहाजा, अपनी बेटियों में से किसी को अपने विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतार सकती हैं।
सीता सोरेन की बेटियों ने भी सोशल मीडिया में जिस तल्खी के साथ लिखा। क्या उन्हें भी अपनी गलती का एहसास होगा। क्या उन्हें भी लगेगा की परिवार की बातों को राजनीति के मंच पर नहीं उछालना चाहिए। क्या सीता सोरेन की बेटियों को अब अपनी गलती का एहसास होगा।
बात चाहे जो भी हो लेकिन सीता सोरेन के लिए यह सबसे मुश्किल दौर है। उनके एक निर्णय ने उन्हें राजनीति के उस अनजान चौराहे पर खड़ा कर दिया है जहां से वे किस तरफ जाएंगी उन्हें खुद भी पता नहीं है।