खूंटी लोक सभा क्षेत्र में इस बार अर्जुन मुंडा के लिए रास्ता आसान नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के प्रत्याशी कालीचरण मुंडा ने उन्हें कड़ी टक्कर कर दी थी। आखिरी समय में अर्जुन मुंडा की जीत सुनिश्चित हुई थी। इस बार भी कालीचरण मुंडा से ही अर्जुन मुंडा का आमना सामना है।
बात यहीं खत्म नहीं होती है। अर्जुन मुंडा के लिए बड़ी परेशानी का सबब यह भी है कि, कुर्मी महतो समाज उनसे भारी नाराज है। दरअसल, कुर्मी समाज का आरोप है कि, केंद्रीय मंत्री रहते हुए अर्जुन मुंडा ने आदिवासी सूची में शामिल करने का आश्वासन दिया था। हालांकि, अर्जुन मुंडा अपने वादे पर खरे नहीं उतरे। कुर्मी नेता शीतल ओहदार कई बार प्रेस वार्ता कर अर्जुन मुंडा पर निशाना साध चुके हैं। कुर्मी महतो की नाराजगी अर्जुन मुंडा को भारी पड़ सकती है।
यही वजह है कि, अर्जुन मुंडा लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। इतना ही नहीं लगातार उनके लोकसभा क्षेत्र में केंद्रीय नेताओं को आमंत्रित किया जा रहा है। आज भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का खूंटी में कार्यक्रम है। इससे पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खूंटी और चाईबासा लोकसभा क्षेत्र के लिए प्रचार कर चुके हैं।
एक के बाद एक बड़े नेताओं को खूंटी लोकसभा क्षेत्र में बुलाना क्या इस बात की तस्दीक करता है कि, अर्जुन मुंडा का रास्ता आसान नहीं है। क्या बीजेपी को यह लगने लगा है कि, खूंटी लोकसभा क्षेत्र को जीतना मुश्किल है। हालांकि, पिछले दिनों केंद्रीय नेताओं के दौरे पर पूछे गए सवाल पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि, यह आम बात है कि, चुनाव में केंद्रीय नेताओं को बुलाया जाता है। अगर ये नेता नहीं आएंगे तो भी पत्रकार सवाल पूछेंगे। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि, 13 मई को जिस दिन खूंटी लोकसभा क्षेत्र के लिए वोट डाले जाएंगे। उस दिन जनता का मिजाज क्या होता है।