महात्मा गांधी की पुण्यतिथि: अहिंसा और सत्य के प्रतीक को श्रद्धांजलि
महात्मा गांधी, जिन्हें पूरी दुनिया अहिंसा और सत्य के पुजारी के रूप में जानती है, की पुण्यतिथि 30 जनवरी को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भारत ही नहीं, पूरा विश्व उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनके सिद्धांतों को याद करता है। इस लेख में हम गांधी जी के जीवन, उनके योगदान और उनकी पुण्यतिथि के महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्होंने कानून की पढ़ाई इंग्लैंड में की और फिर दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। भारत लौटकर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया और सत्याग्रह व अहिंसा के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया।
गांधी जी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
महात्मा गांधी ने भारत की आज़ादी के लिए कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें प्रमुख हैं:
1. चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह (1917-18)
गांधी जी ने किसानों के हक की लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अन्याय के खिलाफ सत्याग्रह किया।
2. असहयोग आंदोलन (1920)
गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया, जिसमें विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया गया।
3. नमक सत्याग्रह (1930)
डांडी मार्च के जरिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का विरोध किया, जिसने भारत में स्वतंत्रता संग्राम को और तेज कर दिया।
4. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
गांधी जी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया, जिसने भारत की आज़ादी की लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर ला दिया।
महात्मा गांधी की हत्या और पुण्यतिथि का महत्व
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डाल दिया, लेकिन उनके विचार और आदर्श आज भी जीवित हैं। इस दिन को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है और देशभर में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
गांधी जी के विचार और उनका आज के दौर में महत्व
गांधी जी का जीवन हमें सिखाता है कि अहिंसा, सत्य और प्रेम ही दुनिया को बदल सकते हैं। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं:
अहिंसा: किसी भी समस्या का हल हिंसा नहीं, बल्कि संवाद और सहिष्णुता से संभव है।
सत्य: सत्य की राह पर चलकर ही समाज में सुधार लाया जा सकता है।
स्वदेशी: आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के लिए हमें स्वदेशी को अपनाना चाहिए।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं। उनकी पुण्यतिथि हमें याद दिलाती है कि हम उनके बताए मार्ग पर चलकर देश और समाज को बेहतर बना सकते हैं। सत्य, अहिंसा और प्रेम को अपनाकर ही हम गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं