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चमरा लिंडा पर कार्रवाई में देरी क्यों। पसोपेश में झामुमो।

झारखंड/बिहार विधानसभा चुनाव

झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व विधायक और खूंटी लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी बसंत लौंग को पार्टी ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। साथ ही उनके प्रचार में शामिल पार्टी के अन्य नेताओं को भी शो काउज किया गया है। इस बाबत झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से आधिकारिक तौर पर पत्र जारी कर दिया गया है। इंडिया गठबंधन के तहत ये सीट कांग्रेस को गई है यहां से कालीचरण मुंडा प्रत्याशी हैं।

झारखंड मुक्ति मोर्चा बसंत लौंगा पर तो कार्रवाई करती है लेकिन लोहरदगा से झामुमो के बागी प्रत्याशी चमरा लिंडा को लेकर पार्टी पसोपेश की हालत में है। बिशनपुर के विधायक चमरा लिंडा ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर लोहरदगा से निर्दलीय तौर पर नामांकन किया। जबकि लोहरदगा सीट से इंडिया गठबंधन के सुखदेव भगत अधिकृत प्रत्याशी हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि, जिला इकाई से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जाहिर सी बात है झारखंड मुक्ति मोर्चा फिलहाल पसोपेश की हालत में नजर आती है कार्रवाई करने से पार्टी हिचक रही है।

लोहरदगा लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में गई है। पार्टी ने यहां से सुखदेव भगत को चुनावी मैदान में उतारा है। चमरा लिंडा के निर्दलीय तौर पर नामांकन भरने से सुखदेव भगत को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस पार्टी इसे लेकर झामुमो को साफ-साफ कुछ भी कहने से बच रही है। हालांकि, पार्टी के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर कहते हैं कि, यह संबंधित पार्टियों को देखना है कि वे अपने लोगों को किस तरह से कंट्रोल में रखती हैं। वैसे चमरा लिंडा के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस पार्टी को नुकसान नहीं होगा।

लोहरदगा सीट से एनडीए के प्रत्याशी समीर उरांव किस्मत आजमा रहे हैं। इस क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का वर्चस्व है। चमरा लिंडा भी आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं। ऐसे में अगर चमरा लिंडा आदिवासी और मूलवासी समाज का वोट लेने में सफल होते हैं तो इसका नुकसान सुखदेव भगत को होता हुआ नजर आता है।

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