झारखंड का वार्षिक बजट कल: विकास को मिलेगी नई दिशा या पुरानी राह?

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झारखंड का वार्षिक बजट: जनता की अपेक्षाएँ और विकास की दिशा

झारखंड का वार्षिक बजट राज्य की आर्थिक नीतियों और विकास योजनाओं की रूपरेखा तय करता है। कल जब सरकार बजट पेश करेगी, तो जनता की निगाहें इस बात पर होंगी कि यह बजट उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में कितना सहायक होगा। झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है, जहां कृषि, खनिज संसाधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं। ऐसे में बजट को संतुलित और समावेशी बनाने की जरूरत है।

1. शिक्षा और युवाओं के लिए विशेष प्रावधान

झारखंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगारपरक प्रशिक्षण की सख्त जरूरत है। बजट में सरकारी स्कूलों के आधुनिकीकरण, डिजिटल शिक्षा, शिक्षकों की भर्ती, छात्रवृत्ति योजनाओं और तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विकास के लिए अधिक फंडिंग आवश्यक है ताकि राज्य के छात्र उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाने को मजबूर न हों।

2. रोजगार सृजन और स्वरोजगार को बढ़ावा

बेरोजगारी झारखंड की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सरकार को चाहिए कि वह स्टार्टअप, स्वरोजगार, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए सब्सिडी और वित्तीय सहायता की घोषणा करे। मनरेगा जैसी योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाया जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़े।

3. कृषि और किसान हितैषी बजट

झारखंड की अर्थव्यवस्था में कृषि का बड़ा योगदान है, लेकिन यहाँ के किसान अब भी संघर्ष कर रहे हैं। किसानों को सस्ती दरों पर ऋण, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, उन्नत बीज एवं खाद पर सब्सिडी की आवश्यकता है। राज्य में मल्टीपरपज कोल्ड स्टोरेज और कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सकेगा।

4. स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को देखते हुए बजट में नए अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, टेलीमेडिसिन सेवाओं और दवा आपूर्ति के लिए अधिक फंड का आवंटन होना चाहिए। आयुष्मान भारत योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है, ताकि हर जरूरतमंद को चिकित्सा सुविधाएँ मिल सकें।

5. बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी में सुधार

झारखंड के ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच संपर्क को बेहतर बनाने के लिए सड़कों, पुलों, रेलवे और इंटरनेट कनेक्टिविटी पर निवेश बढ़ाया जाना चाहिए। आदिवासी और दूरदराज के इलाकों में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सुविधा का विस्तार जरूरी है, जिससे डिजिटल साक्षरता और ऑनलाइन सेवाओं का लाभ सभी तक पहुँच सके।

6. खनिज संपदा का न्यायसंगत उपयोग

झारखंड खनिज संसाधनों से भरपूर राज्य है, लेकिन यहाँ के स्थानीय निवासियों को इसका समुचित लाभ नहीं मिलता। सरकार को चाहिए कि खनिज संपदा से होने वाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा स्थानीय विकास और पुनर्वास योजनाओं में लगाया जाए। खनन से प्रभावित इलाकों में पर्यावरण संरक्षण और रोजगार के वैकल्पिक साधनों पर ध्यान देना जरूरी है।

7. महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा

महिलाओं के लिए सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्‍य और स्वरोजगार की योजनाओं को बजट में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। महिला उद्यमिता, स्वयं सहायता समूह (SHG) और कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।

8. पर्यटन और सांस्कृतिक विकास

झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देना जरूरी है। धार्मिक पर्यटन (बाबा बैद्यनाथ धाम, रजरप्पा), इको-टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने से राज्य की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिल सकता है।

9. ट्राइबल और वंचित वर्गों के लिए विशेष योजनाएँ

झारखंड में आदिवासी समुदाय की आबादी अधिक है। इसलिए वन अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास और जल आपूर्ति के लिए विशेष योजनाओं की जरूरत है। आदिवासी कला और शिल्प को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी सहायता दी जानी चाहिए।

10. बजट को पारदर्शी और प्रभावी बनाना

सरकार को चाहिए कि वह बजट को जनता की भागीदारी से तैयार करे और यह सुनिश्चित करे कि योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो। भ्रष्टाचार पर रोक, सरकारी योजनाओं की निगरानी और डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देने से वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।

झारखंड का बजट ऐसा होना चाहिए जो संतुलित, समावेशी और विकासोन्मुखी हो। इसमें शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, कृषि और महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी जाए। सही नीतियों और प्रभावी क्रियान्वयन के साथ यह बजट झारखंड को विकास और समृद्धि की नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है।

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