- 🔰 मुख्य बिंदु (Key Highlights)
-
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने सदैव गरीब, शोषित और वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व किया
-
आदरणीय दिशोम गुरुजी के नेतृत्व में झारखण्ड को अलग राज्य का दर्जा मिला
-
अलग राज्य बनने के बाद गैर-जिम्मेदार नेतृत्व ने राज्य को नुकसान पहुंचाया
-
2019 में झामुमो को जनता का आशीर्वाद मिला और जिम्मेदारी निभाने का अवसर
-
विपक्ष ने कई बार राजनीति का स्तर गिराया लेकिन झारखण्ड ने कभी हार नहीं मानी
-
झामुमो आज राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी
-
13वें महाधिवेशन का भव्य आयोजन रांची में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ
झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी बनने पर जताया आभार
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अपने 13वें महाधिवेशन के माध्यम से यह साबित कर दिया कि पार्टी न केवल राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बन चुकी है, बल्कि वह जनता के विश्वास की असली प्रतिनिधि भी है। रांची में आयोजित इस दो दिवसीय महाधिवेशन में राज्यभर से हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए और संगठन को मजबूत करने का संकल्प लिया।
https://x.com/HemantSorenJMM/status/1911740606113603883
गरीब, शोषित और वंचितों की सशक्त आवाज बना झामुमो
कार्यक्रम के दौरान हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो ने हमेशा गरीब, शोषित और वंचित वर्ग की आवाज बनकर काम किया है। पार्टी की नींव ही सामाजिक न्याय, समानता और अधिकारों की लड़ाई पर टिकी है। यही कारण है कि झारखंड के आदिवासी और मूलवासी आज भी झामुमो को अपने भविष्य की आशा मानते हैं।
गुरुजी के नेतृत्व में मिला अलग राज्य का दर्जा
महाधिवेशन में पार्टी नेताओं ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व को याद करते हुए कहा कि उनके संघर्षों और आदोलन के बल पर झारखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला। यह सिर्फ राजनीतिक सफलता नहीं, बल्कि झारखंडवासियों की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की जीत थी।
राज्य बनने के बाद नेतृत्व की कमी ने विकास को रोका
हालांकि झारखंड बनने के बाद जिन लोगों ने राज्य की कमान संभाली, वे यहां की जनता की आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरे। आदिवासियों, मूलवासियों और आम जनता को विकास की बजाय निराशा हाथ लगी। यही वह समय था जब झामुमो फिर से जनता के विश्वास का केंद्र बना।
2019 में झामुमो को मिला जनादेश
वर्ष 2019 में जनता ने झामुमो को एक बार फिर से सत्ता सौंपते हुए विकास और अधिकार की राह चुनी। इस दौरान विपक्ष ने कई बार सस्ती राजनीति और नकारात्मक प्रचार के जरिए राज्य को अस्थिर करने की कोशिश की, लेकिन झारखंड झुका नहीं और डटा रहा।
सबसे बड़ी पार्टी बनने पर पार्टी का धन्यवाद
आज झामुमो न केवल राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है बल्कि जनता के दिलों में भी सबसे मजबूत स्थान रखती है। यह सफलता कार्यकर्ताओं की मेहनत और राज्य की जनता के आशीर्वाद का परिणाम है। महाधिवेशन में यह भावना स्पष्ट दिखाई दी।
13वें महाधिवेशन में दिखा संगठन का उत्साह
महाधिवेशन की भव्यता और अनुशासित आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि झामुमो का संगठनात्मक ढांचा मजबूत है। सभी कार्यकर्ताओं ने इस मौके पर अपने विचार रखे और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
दिशोम गुरुजी के विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प
दिशोम गुरुजी द्वारा बोए गए संगठन के बीज आज एक विशाल वटवृक्ष बन चुके हैं, जिनकी जड़ें झारखंड के हर गांव तक फैली हैं। अब समय आ गया है कि इन जड़ों को सींचकर राज्य के हर नागरिक के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जाए।
आगामी चुनावों की तैयारी और एकजुटता का संदेश
महाधिवेशन के समापन सत्र में पार्टी नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं से आगामी चुनावों के लिए पूरी तैयारी और एकजुटता के साथ उतरने का संदेश दिया। साथ ही विकास और जनसरोकार के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाने की रणनीति साझा की गई।
महाधिवेशन बना झारखंड की अस्मिता का उत्सव
झारखंड मुक्ति मोर्चा का यह 13वां महाधिवेशन केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि झारखंड की अस्मिता, पहचान और अधिकारों का उत्सव बनकर सामने आया। पार्टी ने फिर यह स्पष्ट किया कि झारखंड को आगे ले जाने का जिम्मा केवल झामुमो ही निभा सकता है।