Jharkhand- गृह विभाग में बड़ा टेंडर घोटाला! BJPने CBI जांच की मांग की.

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गृह विभाग में संगठित टेंडर घोटाले का खुलासा: भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने उठाए गंभीर सवाल

मुख्य बिंदु:

  • भाजपा प्रवक्ता अजय साह का झारखंड सरकार पर सीधा हमला

  • गृह विभाग में बड़े पैमाने पर टेंडर घोटाले का आरोप

  • एक ही व्यक्ति की तीन फर्मों को टेंडर दिए जाने का दावा

  • टेंडर सेटिंग में तकनीकी अड़चनें बनाकर योग्य कंपनियों को बाहर करने का आरोप

  • GeM नियमों का खुला उल्लंघन

  • मामले की सीबीआई या कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग



भ्रष्टाचार पर नवाचार कर रही हेमंत सरकार: अजय साह का आरोप

रांची, 07 जुलाई 2025- भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने झारखंड सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि जब देश भर में शासन प्रणाली में सुधार और नवाचार किए जा रहे हैं, उस समय हेमंत सरकार में भ्रष्टाचार के नए-नए तरीके ईजाद किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि टेंडर सेटिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा है और यह एक गहरी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।

Jharkhand tender corruption
गृह विभाग के टेंडरों में बड़ा खेल!

गृह विभाग में संगठित टेंडर सिंडिकेट का दावा

अजय साह ने दावा किया कि पिछले पांच वर्षों से गृह विभाग में लगातार टेंडर घोटाले हो रहे हैं। सरकार की मिलीभगत से एक संगठित सिंडिकेट को पनपने का मौका दिया गया है। यह सिंडिकेट पहले से ही अपने बीच में तय कर लेता है कि किसे ठेका मिलेगा और फिर तकनीकी खामियों का हवाला देकर अन्य कंपनियों को बाहर कर दिया जाता है।

20 में से 23 कंपनियों को तकनीकी आधार पर किया गया बाहर

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि टेंडर संख्या JEM/2022/B/2317532 में 23 में से 20 कंपनियों को तकनीकी कारणों से अयोग्य करार दिया गया, जिससे केवल मनचाही कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बनी रहे और खेल आसान हो जाए।

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तीन कंपनियों के बीच घोटाले का गठजोड़

अजय ने आगे बताया कि टेंडर GEM/2022/B/2498791 समेत अन्य कई मामलों में कोलकाता की जे.सी. माइकल, पटना की अरिहंत कॉर्पोरेशन, और दिल्ली की लाइफलाइन सिक्योरिटी को ही ठेके दिए जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इन तीनों कंपनियों के डायरेक्टर या पार्टनर आपस में जुड़े हुए हैं।

  • चिराग जैन, जे.सी. माइकल के डायरेक्टर हैं और अरिहंत ट्रेडिंग के भी प्रोप्राइटर हैं

  • जितेंद्र कोचर, जे.सी. माइकल और लाइफलाइन सिक्योरिटी दोनों के डायरेक्टर हैं

इस गठजोड़ से साफ है कि गृह विभाग और ठेकेदारों के बीच घोर भ्रष्टाचार और आपराधिक मिलीभगत चल रही है।

GeM के नियमों का उल्लंघन और अपराध

सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) के नियमों के अनुसार एक ही व्यक्ति दो अलग-अलग फर्मों से टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकता, लेकिन इस मामले में साफ तौर पर नियमों को ताक पर रख दिया गया है। अजय साह ने कहा कि यह सिर्फ अनियमितता नहीं बल्कि एक आपराधिक साजिश है।

गृह विभाग खुद निगरानी में, फिर भी घोटाले कैसे?

अजय साह ने सवाल उठाया कि जिस गृह विभाग की जिम्मेदारी पूरे राज्य की सुरक्षा और निगरानी की होती है, उसी में ऐसा संगठित घोटाला कैसे हो सकता है और वह भी बिना किसी की पकड़ में आए? यह दर्शाता है कि सरकार की मंशा ही साफ नहीं है।

मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए: CBI जांच की मांग

उन्होंने कहा कि चूंकि गृह विभाग सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अधीन आता है, इसलिए इस घोटाले की निष्पक्ष जांच तभी संभव है जब यह CBI या कोर्ट की निगरानी में हो। उन्होंने इसे एक “सिस्टमेटिक करप्शन मॉडल” करार दिया, जिसे सरकार ने स्वयं संरक्षित कर रखा है।

भाजपा प्रवक्ता अजय साह के गंभीर आरोपों से झारखंड सरकार की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। यदि वाकई टेंडर सेटिंग और फर्मों की मिलीभगत के ऐसे प्रमाण हैं, तो यह केवल वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि प्रशासनिक और नैतिक विफलता का मामला बन जाता है। इस घोटाले की निष्पक्ष जांच आने वाले समय में सरकार की पारदर्शिता की असली परीक्षा होगी।

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