झारखंड बंद आज: रांची में उबला गुस्सा, सड़क पर उतरे आदिवासी संगठन.

झारखंड/बिहार विधानसभा चुनाव

सिरमटोली रैंप हटाने की मांग पर आज झारखंड बंद, आदिवासी संगठनों का ऐलान
सरना स्थल की रक्षा, आदिवासी अस्मिता और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े कई मुद्दे उठाए जाएंगे


✦ मुख्य बिंदु पहले:

  • सिरमटोली सरना स्थल के पास बने फ्लाईओवर रैंप के विरोध में आदिवासी संगठनों ने आज झारखंड बंद बुलाया

  • बंद का नेतृत्व ‘आदिवासी बचाओ मोर्चा’ और ‘सिरमटोली बचाओ मोर्चा’ कर रहे हैं

  • मंगलवार शाम को रांची में मशाल जुलूस निकाला गया

  • झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने भी बंद को नैतिक समर्थन दिया

  • बंद के दौरान जमीन, धर्म, रोजगार, शिक्षा, शराबबंदी सहित कई जन मुद्दों को उठाया जाएगा



✦ सरना स्थल की सुरक्षा के लिए आदिवासी संगठन एकजुट

रांची के सिरमटोली स्थित ऐतिहासिक सरना स्थल को बचाने की मांग पर आज 4 जून को राज्यव्यापी झारखंड बंद बुलाया गया है। यह बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक प्रभावी रहेगा। इसकी घोषणा आदिवासी बचाओ मोर्चा और केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली बचाओ मोर्चा की ओर से की गई है। बंद से पहले मंगलवार शाम को राजधानी रांची में मशाल जुलूस निकाल कर जनभावना को स्वर दिया गया।

✦ रैंप हटाने की मुख्य मांग

इस आंदोलन का मुख्य केंद्र सिरमटोली सरना स्थल के पास बना फ्लाईओवर रैंप है, जिसे हटाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। आदिवासी संगठनों का आरोप है कि यह रैंप धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान के विरुद्ध है। वे इसे सरना धर्म और परंपरागत स्थल पर अतिक्रमण मानते हैं।

✦ राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा

बंद को झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा का समर्थन प्राप्त हुआ है। पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो ने ऑक्सीजन पार्क में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि, “पार्टी इस बंद का नैतिक समर्थन करती है और झारखंड सरकार से मांग करती है कि वह आदिवासी संगठनों की सभी मांगों पर सकारात्मक पहल करे।”

✦ आदिवासी मुद्दों पर व्यापक आंदोलन की तैयारी

केवल सिरमटोली ही नहीं, बल्कि आंदोलन का दायरा व्यापक किया जा रहा है। संगठन पारसनाथ पहाड़, लुगुबुरू, मुड़हर पहाड़, दिवरी दिरी जैसे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के मुद्दे भी उठाएंगे। साथ ही कई सामाजिक-राजनीतिक विषय जैसे:

  • पेसा कानून का प्रभावी क्रियान्वयन

  • आदिवासी जमीन की लूट पर रोक

  • धार्मिक न्यास बोर्ड पर पुनर्विचार

  • नई नियोजन नीति में स्थानीयता की प्राथमिकता

  • लैंड बैंक प्रणाली का विरोध

  • ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना

  • स्थानीय भाषाओं और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा

  • झारखंड में शराबबंदी लागू करने की मांग

इन सभी बिंदुओं पर संगठनों का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द ध्यान नहीं दिया तो यह आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

आज का झारखंड बंद सिर्फ एक रैंप को हटाने का विरोध नहीं, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, धर्म, ज़मीन और संस्कृति की रक्षा के लिए व्यापक जनसंघर्ष का संकेत है। यदि सरकार समय रहते संवाद नहीं करती, तो आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीतिक स्थिरता को चुनौती दे सकता है।

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