पीएम, सीएम और मंत्रियों को हटाने वाले नए बिल पर बवाल, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने जताया कड़ा विरोध
मुख्य बिंदु
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इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार के तीन नए बिलों को बताया लोकतंत्र विरोधी
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कहा – “प्रधानमंत्री, सांसद और विधायक लोकतंत्र की खूबसूरती हैं, इन्हें कमजोर करना सीधा हमला”
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संविधान संशोधन विधेयक 2025 से विधायिका की गरिमा को ठेस पहुँचने की बात कही
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पीएम मोदी पर आरोप – “जनता के बुनियादी अधिकारों से भटकाने की कोशिश”
अंसारी का आरोप – “अंधेर नगरी चौपट राजा जैसे हालात”
रांची, 21 अगस्त 2025- केंद्र सरकार द्वारा लाए गए उन तीन नए बिलों पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने खुलकर विरोध दर्ज कराया है, जिनके जरिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कदम लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार करने जैसा है। सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अंसारी ने लिखा – “अंधेर नगरी चौपट राजा… यही हालात पैदा कर रही है केंद्र की मोदी सरकार।”
विधायिका को कमजोर करने का आरोप
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार जनता के हित में ठोस फैसले लेने के बजाय ऐसे बिल ला रही है, जिससे चुने हुए जनप्रतिनिधियों का मनोबल टूट रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान संशोधन विधेयक 2025 से विधायिका की गरिमा को ठेस पहुँच रही है।
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न्यायपालिका और कार्यपालिका पर सवाल
इरफान अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा – “अगर ताकत है तो न्यायपालिका और कार्यपालिका के अधिकारों पर भी बिल लाकर दिखाइए। लेकिन आप ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वहाँ एकता और अखंडता है।”
“जनता का वोट छिना जा रहा”
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस तरह के बिल लाकर सरकार जनता का ध्यान बुनियादी मुद्दों से भटका रही है। उनका आरोप है कि वोट देने का बुनियादी अधिकार छीना जा रहा है और चर्चा ऐसे कानूनों पर हो रही है, जो केवल चुने हुए नेताओं को अपमानित करने के लिए बनाए जा रहे हैं।
“लोकतंत्र अधूरा हो जाएगा”
अंसारी ने कहा कि प्रधानमंत्री से लेकर विधायक और सांसद तक – सभी लोकतंत्र की खूबसूरती हैं। अगर विधायिका को कमजोर किया गया तो लोकतंत्र अधूरा हो जाएगा। उन्होंने मोदी सरकार से अपील की – “विधायिका को बचाइए, लोकतंत्र को बचाइए।”
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान विपक्ष को नया मुद्दा देता दिख रहा है। जहां केंद्र सरकार बिल को जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए जरूरी बता रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र और जनप्रतिनिधियों की स्वतंत्रता पर हमला करार दे रहा है।