उग्र आंदोलन की संभावना
झारखंड के शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम विभागीय प्रस्ताव को जैक और मोर्चा की मंजूरी के बिना अनुमोदित करते हैं, तो उग्र आंदोलन होगा। हजारों शिक्षक और कर्मचारी मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए तैयार हैं।
प्रस्ताव लंबित और संभावित बंद
इंटर कॉलेजों में सीट वृद्धि का प्रस्ताव विभागीय मंत्री के पास पांच दिन से लंबित है। यदि मंत्री स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के प्रस्ताव को अनुमोदित करते हैं, तो यह राज्य के सभी इंटर कॉलेजों के दो वर्षों में बंद होने का कारण बन सकता है। एक ओर, अंगीभूत और संबद्ध डिग्री कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के चलते नामांकन बंद है, जबकि केवल 640+2 स्कूल और मान्यता प्राप्त इंटर कॉलेजों में ही नामांकन हो रहा है।
प्लस टू स्कूलों की समस्याएँ
प्लस टू स्कूलों में हर विषय में केवल एक शिक्षक हैं और आधारभूत संरचना की भारी कमी है। इसके विपरीत, इंटर कॉलेजों में पर्याप्त आधारभूत संरचना, पर्याप्त संख्या में शिक्षक, प्रयोगशालाएं और पुस्तकालय हैं।
जैक की भूमिका और विभागीय निर्देश
प्लस टू संस्थानों में सीट वृद्धि का अधिकार जैक को है। विभाग ने जैक को निर्देशित किया कि सीट वृद्धि के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात, आधारभूत संरचना और कक्षाओं का ध्यान रखा जाए। जैक ने विभाग को 384 सीटों की व्यवस्था बनाए रखते हुए आवेदन भेजे, जिन्हें विभाग ने वापस कर दिया।
तात्कालिक निर्णय की आवश्यकता
जैक ने विभाग को चेतावनी दी कि नामांकन के संबंध में राज्यव्यापी हंगामा हो रहा है और अगर तुरंत निर्णय नहीं लिया गया, तो नामांकन में कठिनाई होगी। विभाग ने प्रस्ताव को मंत्री और मुख्यमंत्री को अनुमोदन के लिए भेजा, लेकिन मुख्यमंत्री के बदलने के कारण फाइलें वापस लौट गईं। प्रस्ताव को फिर से विभागीय मंत्री को भेजा गया है।
विभागीय प्रस्ताव के विवरण
विभाग ने निम्नलिखित प्रस्ताव दिए हैं:
- उन इंटर कॉलेजों के लिए अतिरिक्त 128 सीटों की एक सेक्शन वृद्धि की मंजूरी।
- यह मान्यता कि सीट निर्धारण में विभाग की भूमिका नगण्य है, झारखंड अधिनियम परिषद अधिनियम 2002 (संशोधित 2006) के अनुसार। अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव पर अनुमोदन मांगा गया।
वित्तीय प्रभाव
यदि मंत्री प्रस्ताव को अनुमोदित करते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप सभी इंटर कॉलेजों के दो वर्षों में बंद होने की संभावना है और शिक्षक अनुदान की कमी के कारण छोड़ सकते हैं। वर्तमान में शिक्षकों और कर्मचारियों को अनुदान से वेतन मिलता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित है, लेकिन छात्र संख्या में कमी से बजट 42 करोड़ रुपये रह जाएगा।
ग्रामीण छात्रों पर प्रभाव
इंटर कॉलेज मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं जहां गरीब बच्चे पढ़ते हैं। सीटें कम करने से इन छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो शहर में पढ़ाई की स्थिति नहीं रखते। दूसरी ओर, प्लस टू स्कूलों में एक-एक संकाय में 3000 छात्रों का नामांकन हुआ है, और वहां एक भी शिक्षक या उचित सुविधाएं नहीं हैं।
बजट संबंधी चिंताएँ
एक अतिरिक्त सेक्शन बढ़ाने की वित्तीय प्रभाव का आकलन किया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में 76.77 करोड़ रुपये खर्च हुए जबकि बजट 90 करोड़ था, जिससे 12 करोड़ रुपये बच गए। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित है, लेकिन छात्र संख्या कम होने से बजट 40 करोड़ रुपये रह जाएगा। सरकार पर वित्तीय भार बढ़ने की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
मोर्चा का स्टैंड
मोर्चा ने मंत्री से आग्रह किया है कि विभागीय प्रस्ताव को अनुमोदित न करें और शिक्षक संगठनों और जैक के साथ बैठक करके समीक्षा करें। अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो मोर्चा मंत्री के आवास का घेराव और अनशन शुरू करेगा।
आपात बैठक और भविष्य की योजनाएँ
आपात बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मंत्री से विभागीय प्रस्ताव पर अनुमोदन न करने का आग्रह किया जाए। मोर्चा ने आरोप लगाया कि विभाग 30 वर्षों से चल रहे इंटर कॉलेजों को बंद करने की कोशिश कर रहा है। यदि बिना वार्ता के मंत्री प्रस्ताव को अनुमोदित करते हैं, तो मोर्चा अनिश्चितकालीन घेराव करेगा जिसमें छात्र भी शामिल होंगे।
आगामी प्रधानाचार्यों की बैठक
मोर्चा ने 23 जुलाई को राज्य के सभी प्राचार्यों की बैठक बुलायी है जो सर्वोदय बाल निकेतन उच्च विद्यालय धुर्वा, रांची में होगी। इस बैठक में आगे की रणनीति पर विचार विमर्श होगा। बैठक में कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कदीर अहमद, अरविंद सिंह, गणेश महतो, नारोत्तम सिंह, संजय कुमार, देवनाथ सिंह, बिरसो उरांव, मनोज कुमार तिर्की, रेशमा बेक, रघु विश्वकर्मा, मनीष कुमार और रणजीत मिश्रा शामिल हुए।