सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन इन दोनों लोगों को चाय पिला रही हैं। अब इसके पीछे का माजरा क्या है वह भी थोड़ा समझ लीजिए।
पहले इस तस्वीर को ज़रा ग़ौर से देखिए। सीता सोरेन के एक हाथ में केतली है। दूसरी हाथ में मिट्टी का प्याला है और सामने उनके वोटर हैं जिसे वे चाय पेश कर रही हैं। इस दौरान अगल-बगल लोगों की भीड़ भी है जिनके हाथों में भी चाय का प्याला है। सीता सोरेन मुस्कुराते हुए एक बुजुर्ग व्यक्ति को चाय पेश करती हैं। संभवतः यह दुमका लोकसभा क्षेत्र की तस्वीर है।
दरअसल, सीता सोरेन जो कल तक झारखंड मुक्ति मोर्चा का झंडा उठाती थीं। उन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया और मोदी के परिवार में शामिल हो गईं। बीजेपी ने भी आनन- फानन में अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी सुनील सोरेन को वहां दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया और सीता सोरेन को दुमका लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया। सीता सोरेन के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता था कि, दुमका लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिले।
सीता सोरेन के साथ ही भाजपा के लिए दुमका लोकसभा सीट जीतना प्रतिष्ठा का विषय है। दुमका या फिर संथाल से झारखंड मुक्ति मोर्चा का बेहद नजदीकी रिश्ता है। यहां से सीता सोरेन को टिकट देकर भाजपा ने परिवार तोड़ने की कोशिश की है। ऐसा झामुमो के नेता मानते हैं। सीता सोरेन खुद जानती हैं कि, उन्हें टिकट तो मिल गया है लेकिन उन्हें जीत कर दिखाना भी होगा।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यहां से अपने वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन को उम्मीदवार बनाया है जिसे सीता सोरेन कलतक अभिभावक कहती थी। अब उन्हे बीज घोटाले का आरोपी और जेल जाने वाला बताती हैं। जाहिर सी बात है राजनीति में ना तो कोई आपका अपना होता है ना ही कोई पराया होता है। सब कुछ राजनीति तय करती है।
बहरहाल, सीता सोरेन दुमका लोकसभा क्षेत्र में प्रचार प्रसार में जुटी हैं। भीषण गर्मी में लोगों को चाय परोस रही हैं। चुनाव जीतने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है। बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है। वही काम सीता सोरेन कर रही हैं। लिहाजा, इसकी आलोचना तो नहीं की जा सकती है विश्लेषण ज़रूर किया जा सकता है।