क्या सोरेन परिवार की पुत्रवधू सीता सोरेन भाजपा की मोहरा बन गई हैं। क्या सीता सोरेन बीजेपी के इशारे पर काम कर रही हैं। क्या सीता सोरेन राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता निभा रही हैं। क्या सीता सोरेन अपने सभी हिसाब किताब बराबर करना चाहती हैं।
सवाल बहुत सारे पूछे जा सकते हैं लेकिन आज बात सीता सोरेन की बेटियों की करते हैं। आपको पता है कि, पिछले दिनों सीता सोरेन की बेटी विजयश्री सोरेन ने आरोप लगाया कि, नाला विधानसभा के अंदर झारखंड मुक्ति मोर्चा और स्पीकर रविंद्र नाथ महतो के बेटे ने हमले की साजिश रची। हालांकि, खतरा को भांपते हुए वे मौके से निकल गई। झामुमो और स्पीकर रविंद्र नाथ महतो की तरफ से इसे गलत बताया गया।
इस मामले में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल सुधीर श्रीवास्तव के नेतृत्व में चुनाव आयोग पहुंचकर सीता सोरेन की बेटियों पर हमला करने के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है। प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि, इस पूरे घटनाक्रम में विधानसभा अध्यक्ष का भी नाम आ रहा है जो बहुत ही चिंता का विषय है। कांग्रेस और अध्यक्ष दोनों हिंसायुक्त चुनाव चाहते हैं। इसी का परिणाम है कि, इस प्रकार के हमले हो रहे हैं। फिलहाल, इस पर चुनाव आयोग ने क्या कुछ कार्रवाई की है इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
इस घटनाक्रम के अलावा भी देखें तो सीता सोरेन की तीनों ही बेटियां अपने परिवार, अपने दोनों चाचा और चाची कल्पना सोरेन पर हमला बोल रही हैं। सीता सोरेन आज अकेले नहीं है उनके साथ उनकी तीन बेटियां हैं। अब भाजपा का लाव लश्कर भी सीता के साथ खड़ा है। ऐसा में सीता सोरेन के हौसले बुलंद हैं। सीता स्वयं यह मानकर चल रही हैं कि, दुमका लोकसभा सीट से अगली सांसद वे होने जा रही हैं। सीता स्वयं कल तक जिसे अभिभावक कहती थी यानी नलिन सोरेन आज उसे बीज घोटाले का आरोपी बता रही है।
सोशल मीडिया में सीता सोरेन की तीनों ही बेटियां बेहद एक्टिव हैं। वे लगातार सोरेन परिवार यानी अपने परिवार पर हमला बोल रही हैं। हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन और बसंत सोरेन के साथ ही पूरी पार्टी उनके निशाने पर है। इसके विपरीत कल्पना सोरेन सीता सोरेन के फैसले का सम्मान करते हुए कहती हैं कि, व्यक्तिगत तौर पर अगर कोई निर्णय लिया गया है तो उसका सम्मान होना चाहिए है। इसके अलावा सीता सोरेन और उनकी बेटियों को लेकर वे कुछ भी नहीं कहती हैं।
आपको पता होगा कि, हेमंत सोरेन के जेल जाने से पहले कल्पना सोरेन को पार्टी विधायकों की बैठक में शामिल किया गया। इससे यह कयास लगाए जाने वालों की कल्पना सोरेन आने वाले दिनों में एक्टिव पॉलिटिक्स में आएंगी। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के दौरान कल्पना सोरेन के नाम पर खूब चर्चा होने लगी। कहा जाने लगा कि, कल्पना के हाथों में झारखंड की बागडोर होगी। इसका सबसे ज्यादा विरोध सीता सोरेन ने किया था। बाद में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई गई। सीता सोरेन को कहीं ना कहीं लगता है कि, कल्पना सोरेन की वजह से ही उसे उनका जो हक और अधिकार था वह नहीं मिला है। परिवारिक लड़ाई चौक चौराहों में चर्चा का विषय बन गई। इस बीच सीता सोरेन ने ठीक लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दे दिया और भाजपा के मोदी परिवार में शामिल हो गई। 1 जून को सीता सोरेन की राजनीतिक भविष्य का फैसला होना है।