रांची से कांग्रेस की टिकट की चाह रखने वाले पूर्व भाजपा सांसद रामटहल चौधरी के सामने बैठकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत की सुपुत्री एवं रांची की कांग्रेस प्रत्याशी यशस्विनी सहाय उनसे आशीर्वाद मांग रही हैं। ये तस्वीर लगभग सभी अखबारों में छपी है। सुबोध कांत के व्हाट्सएप ग्रुप में अखबार की कतरनों को काट काट कर अपलोड भी किया गया है ताकि आप घर बैठे देख और समझ सकें की यशस्विनी सहाय किससे आशीर्वाद लेने पहुंची हैं।
जाहिर सी बात है रामटहल चौधरी एक बुजुर्ग और पुराने नेता हैं। रांची से पांच बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी वे रांची से चुनाव लड़ना चाहते थे और इसी चाह में वे कांग्रेस में शामिल हुए। लेकिन कहते हैं कि कांग्रेस को आजतक किसी ने नहीं समझ पाया। रामटहल चौधरी भी यहीं गच्चा खा गये। टिकट का इंतजार करते रहे और बाजी मार गई सुबोधकांत की सुपुत्री यशस्विनी सहाय।
यशस्विनी सहाय राजनीति को अभी समझ रही हैं बूझ रही हैं। पता है की राजनीति में जातीय समीकरण का बड़ा महत्व है। हिंदी पट्टी में तो इसी के बल पर चुनाव जीते जाते रहे हैं। रामटहल चौधरी कुर्मी नेता हैं। अपने समाज में उनकी अच्छी पकड़ और पहुंच है। इसी वजह से रामटहल चौधरी कहा करते थे कि, अगर उनको टिकट मिलता है तो न सिर्फ रांची बल्कि दूसरे लोकसभा क्षेत्र में भी उनके बिरादरी के लोग कांग्रेस को सपोर्ट करेंगे। कांग्रेस ने रामटहल चौधरी यानी कुर्मी नेता की जगह सहाय परिवार को टिकट दिया है। ऐसे में रामटहल चौधरी करते तो करते क्या। उन्हें तो आशीर्वाद देना था तो यशस्विनी सहाय को जीत का आशीर्वाद दिया।
अपने पिता के साथ यानी सुबोध कांत के साथ यशस्विनी सहाय ना सिर्फ रामटहल चौधरी के पास गईं बल्कि रिम्स जो झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है वहां के मरीजों से भी मुलाकात की। वे मरीज जो प्राइवेट अस्पतालों में इलाज नहीं करा सकते हैं। यानी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। यानी समाज के दबे कुचले लोग हैं। यशस्विनी सहाय यह बताना और जताना चाहती हैं कि, उनकी राजनीति इन्हीं लोगों के लिए है। अगर ऐसा है तो यशस्विनी सहाय के इस कदम का स्वागत स्वागत किया जाना चाहिए।
यशस्विनी की पहचान उनके पिता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत की वजह से है। यही वजह है कि, सुबोध कांत उनके हर कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। जनता को बता रहे हैं कि, यशस्विनी उनकी बेटी है। आप उनको नहीं मुझे जीता रहे हैं। जनता कितना समझ पाती है। यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन भीतर खाने कांग्रेस पार्टी के लोग इस बात से बहुत खुश नहीं हैं। पार्टी की वरिष्ठ नेत्री रमा खलखो फेसबुक में लिखती हैं कि, अगर सहाय परिवार को ही टिकट दिया जाना था तो फिर इतनी देरी क्यों की गई और भी बहुत कुछ लिखा है आप उनके फेसबुक वाल में जाकर पढ़ सकते हैं।