शिक्षा केवल डिग्री नहीं, समाज के प्रति संवेदनशील बनने की प्रक्रिया– कुलाधिपति.

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रांची विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति का संबोधन

विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों को बधाई

रांची विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर मैं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और शोधार्थियों को मेरी ओर से शुभकामनाएँ। उनके अभिभावकों और शिक्षकों का भी विशेष धन्यवाद, जिन्होंने उन्हें प्रेरित और मार्गदर्शित किया।

यह सिर्फ दीक्षांत समारोह नहीं, एक उपलब्धि का उत्सव

यह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत और समर्पण का उत्सव है। यह अवसर न केवल आपकी उपलब्धियों को मान्यता देता है, बल्कि आपके भविष्य की दिशा भी तय करता है।

रांची विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास

रांची विश्वविद्यालय न केवल राज्य का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है, बल्कि यह झारखंड की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यों का संरक्षक भी है। इसने कई वैज्ञानिक, शिक्षाविद, प्रशासक, साहित्यकार और समाजसेवी देश को दिए हैं। मुझे विश्वास है कि आप भी इस परंपरा को आगे बढ़ाएँगे।

शिक्षा का उद्देश्य – समाज के प्रति संवेदनशीलता

शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है। यह जीवन को सही दिशा देने, प्रश्न पूछने, नवाचार करने और समाज के प्रति संवेदनशील बनने की प्रक्रिया है। हमारा ज्ञान तभी सार्थक है, जब उससे समाज को लाभ पहुँचे।

बेटियों की सफलता – एक नई सोच का प्रतीक

दीक्षांत समारोहों में बेटियाँ स्वर्ण पदक विजेताओं की सूची में आगे रहती हैं, जो उनके आत्मविश्वास और सशक्तिकरण का प्रमाण है। पुरानी रूढ़ियों को तोड़ते हुए वे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं।

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से बेटियों को नए अवसर

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से बेटियों के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खुले हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं सभी बेटियों को शुभकामनाएँ देता हूँ।

अनुसंधान और नवाचार की महत्ता

झारखंड संसाधनों से भरपूर राज्य है, लेकिन हमें इनके विवेकपूर्ण उपयोग पर ध्यान देना होगा। अनुसंधान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और कृषि विकास जैसे क्षेत्रों में भी हो।

शोध की गुणवत्ता और प्राथमिकता

शोध का स्तर मौलिक एवं उच्च होना चाहिए, केवल नकल (copy-paste) नहीं। विद्यार्थियों को हरित क्रांति, नवीकरणीय ऊर्जा, जनजातीय समाज, पारंपरिक चिकित्सा और खनिज विज्ञान जैसे विषयों पर शोध करना चाहिए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 – एक नया परिवर्तन

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘न्यू इंडिया’ के संकल्प ने शिक्षा, नवाचार और आत्मनिर्भरता को एक नई दिशा दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और शोध में उत्कृष्टता की ओर ले जा रही है।

भारत का वैश्विक मंच पर बढ़ता कद

चंद्रयान-3, आदित्य-L1 जैसी वैज्ञानिक सफलताएँ हमारे वैज्ञानिकों के समर्पण का परिणाम हैं। ‘विकसित भारत’ का सपना केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक संकल्प है, जिसे साकार करने की जिम्मेदारी युवाओं पर है।

झारखंड की प्राकृतिक संपदा का संरक्षण अनिवार्य

झारखंड की हरियाली और संसाधन हमारी सबसे बड़ी पूँजी हैं। हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नए समाधान तलाशने होंगे और जंगलों का विवेकपूर्ण उपयोग करना सीखना होगा।

झारखंड की वीर गाथाएँ – प्रेरणा के स्रोत

झारखंड की भूमि कई रणबांकुरों की जन्मस्थली रही है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, नीलांबर-पीतांबर और अन्य महान योद्धाओं का बलिदान हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा।

महान विभूतियों से सीखने की आवश्यकता

भगवान बिरसा मुंडा, स्वामी विवेकानंद और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे महापुरुषों के जीवन से हमें संघर्ष, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रसेवा की प्रेरणा लेनी चाहिए।

संघर्ष, परिश्रम और आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी

जीवन में चुनौतियाँ आएँगी, असफलता भी मिलेगी, लेकिन जो गिरकर उठता है, वही विजयी होता है। राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियाँ हमें प्रेरित करती हैं –

“कलम देश की बड़ी शक्ति है, भाव जगाने वाली,
दिल की नहीं, दिमागों में भी आग लगाने वाली।”

विद्यार्थियों के लिए शुभकामनाएँ और संदेश

मैं सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों को हार्दिक बधाई देता हूँ। मेरा अनुरोध है कि आप झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखें, अपनी जड़ों से जुड़े रहें और सफलता के नए आयाम स्थापित करें। मेरा आशीर्वाद सदैव आप सभी के साथ है।

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