पेसा दिवस और झारखंड में पंचायत राज की असमंजस स्थिति
पेसा दिवस का महत्व
24 दिसंबर 2024 को पेसा दिवस मनाया गया जो कि, 24 दिसंबर 1996 को लागू किए गए पेसा कानून का प्रतीक है। हालांकि, 1996 में लागू होने के बाद भी इस कानून को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया। इसके स्थान पर, 2001 में राज्य सरकार ने पंचायत राज अधिनियम 2001 पारित किया और उसी कानून के तहत 2010 में झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए गए।
संविधान के अनुच्छेद 243 के प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 243(म)1 के अनुसार, अनुसूचित क्षेत्रों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नहीं हो सकते। इस संदर्भ में, संविधान के अनुच्छेद 243(म)4(बी) के तहत संसद को इस पर अपवाद या रूपांतरण करने का अधिकार दिया गया है। इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए, संसद ने पेसा कानून को 24 दिसंबर 1996 से लागू किया।
केंद्र और राज्य कानून में असंगति
संविधान की धारा 254 के अनुसार, जब केंद्र और राज्य के कानूनों में असंगति होती है, तो केंद्र का कानून ही लागू होगा। ऐसे में, पेसा कानून को राज्य द्वारा पारित पंचायत राज अधिनियम 2001 के मुकाबले प्राथमिकता मिलेगी। इसका मतलब यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत व्यवस्था अमान्य हो जाएगी और वहां पारंपरिक ग्रामसभा की व्यवस्था होगी, न कि त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था।
पेसा कानून का कार्यान्वयन
पेसा कानून के धारा 5 में यह प्रावधान है कि राज्य विधानसभा को पेसा कानून लागू होने के एक वर्ष के भीतर (23 दिसंबर 1997 तक) नियमावली बनानी थी। हालांकि, अभी तक राज्य सरकार ने पेसा कानून के तहत कोई नियमावली नहीं बनाई है। इसके विपरीत, सरकार ने पंचायत राज अधिनियम 2001 के आधार पर नियमावली बनाई है, जो असंवैधानिक है।
JPRA (झारखंड पंचायत राज अधिनियम) और पेसा कानून की असंगति
झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 (JPRA) पेसा कानून के चार साल बाद बना, जिसमें त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था की बात की गई, जो कि अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं हो सकती। राज्य सरकार ने इसी अधिनियम को आधार बना कर नियमावली बनाई, जो पेसा कानून के विपरीत है और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करती है।
निष्कर्ष
पेसा कानून के क्रियान्वयन में हो रही देरी और असंवैधानिक नियमावली बनाने से राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत व्यवस्था के लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यह स्थिति संवैधानिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है और इससे राज्य के विकास और प्रशासन पर भी असर पड़ सकता है।