अनुदान वृद्धि और राज्य कर्मी दर्जा को लेकर वित्त रहित मोर्चा जाएगा हाईकोर्ट।

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अनुदान वृद्धि और राज्य कर्मी दर्जा को लेकर वित्त रहित मोर्चा जाएगा उच्च न्यायालय

अनुदान वृद्धि की संचिका तीन वर्षों से लंबित
झारखंड वित्त रहित मोर्चा 75% अनुदान वृद्धि और राज्य कर्मी दर्जा को लेकर उच्च न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है। यह संचिका पिछले तीन वर्षों से कार्मिक विभाग में लंबित है, जिस पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

वित्त विभाग ने अनुदान वृद्धि प्रस्ताव को लौटाया
राज्य सरकार ने इंटरमीडिएट कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और मदरसों के अनुदान में 75% वृद्धि का निर्णय लिया था। विभागीय प्रक्रिया पूरी होने के बाद संचिका वित्त विभाग को अनुमोदन के लिए भेजी गई थी, लेकिन वित्त विभाग ने वित्तीय कमी का हवाला देते हुए इसे लौटा दिया।

डिग्री कॉलेजों को मिला लाभ, इंटर कॉलेज और स्कूलों को नहीं
बीते वर्षों में संबद्ध डिग्री कॉलेजों के लिए 75% अनुदान वृद्धि की अधिसूचना जारी कर दी गई, लेकिन इंटर कॉलेज और स्कूलों के लिए इसी अधिनियम और नियमावली के तहत प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद इसे वित्त विभाग ने अस्वीकार कर दिया। मोर्चा ने इसे दोहरा मापदंड करार दिया है।

राज्य कर्मी दर्जा भी तीन वर्षों से लंबित
झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि प्रशासनिक सुधार आयोग की अनुशंसा के बाद राज्य कर्मी दर्जा दे दिया जाएगा। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 2021 में और फिर 2024 में संचिका भेजी, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिससे शिक्षकों में रोष है।

सरकार पर बार-बार आश्वासन देने का आरोप
मोर्चा ने कई बार मुख्यमंत्री और विभागीय सचिव को ज्ञापन सौंपा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है, जिससे मजबूर होकर मोर्चा ने उच्च न्यायालय में दो अलग-अलग रिट याचिका दायर करने का फैसला किया है।

अब न्यायालय से ही मिलेगी न्याय की उम्मीद
मोर्चा के नेताओं रघुनाथ सिंह, कुंदन कुमार सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद, अरविंद सिंह, गणेश महतो, देवनाथ सिंह, चंदेश्वर पाठक, नरोत्तम सिंह, मनोज तिर्की, मनीष कुमार और रेशमा बेक ने कहा कि सरकार लगातार शिक्षकों को केवल आश्वासन दे रही है, लेकिन न्याय अब केवल उच्च न्यायालय से ही संभव है।

मोर्चा जल्द करेगा रिट याचिका दायर
मोर्चा के पशुपति महतो, मुरारी सिंह, रघु विश्वकर्मा और मनोज कुमार ने कहा कि अब न्यायालय ही शिक्षकों को न्याय दिला सकता है।

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