झारखंड में पेसा कानून लागू करने की तैयारी
झारखंड छात्र संघ के केन्द्रीय अध्यक्ष एस. अली ने आदिवासी संगठनों और मूलवासी अगुवाओं को पत्र लिखकर पेसा कानून 1996 पर सामूहिक परिचर्चा आयोजित करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि समाचार पत्रों और सोशल मीडिया से जानकारी मिली है कि झारखंड राज्य में पेसा कानून लागू होने जा रहा है।
पेसा कानून की आवश्यकता पर जोर
एस अली ने कहा कि पेसा कानून लंबे समय से झारखंड में लागू करने की मांग की जा रही थी। अलग झारखंड राज्य बनने के बाद से इस कानून के लिए कई आंदोलन और अभियान चलाए गए, जिनमें उन्होंने भी भाग लिया। उनका मानना है कि:
- झारखंड के खनिज संपदा, जल, जंगल, जमीन और भाषा-संस्कृति की सुरक्षा के लिए पेसा कानून जरूरी है।
- स्थानीय लोगों की नौकरियों और पारंपरिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
ड्राफ्ट को लेकर उठे सवाल
एस अली ने कहा कि पेसा कानून के ड्राफ्ट को लेकर आदिवासी और मूलवासी समुदायों में चर्चा हो रही है।
- सवाल उठ रहे हैं कि ड्राफ्ट में अनुसूचित जिलों और क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी और मूलवासी (सदान और मुस्लिम) समुदायों के अधिकार सुरक्षित हैं या नहीं।
- इस विषय पर न तो सरकारी स्तर पर और न ही सामाजिक स्तर पर कोई चर्चा हो रही है।
सामूहिक बैठक की पहल का आग्रह
उन्होंने आदिवासी संगठनों से आग्रह किया है कि पेसा कानून को लेकर मूलवासियों के बीच फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए सामूहिक बैठक आयोजित की जाए।
- यह बैठक सभी समुदायों के अधिकारों और पेसा कानून के प्रभावों पर चर्चा के लिए होनी चाहिए।
- इस पहल से कानून के सही उद्देश्य और लाभ को लेकर जागरूकता फैलाई जा सकेगी।