झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले चंपई सोरेन सरकार रेस हो गई है। 10 और 11 जून को मुख्यमंत्री चंपई सोरेन विभिन्न विभागों की समीक्षा करने जा रहे हैं। इसका उद्देश्य लोक कल्याणकारी योजनाओं को विधानसभा चुनाव से पहले जमीन पर उतारना है। इतना ही नहीं जिन योजनाओं की घोषणा बजट में की गई है उन योजनाओं के प्रस्ताव कैबिनेट में लाकर उसे पास कराने और फिर धरातल पर उतारने की योजना पर काम किया जा रहा है।
प्रशासनिक तौर पर देखें तो कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा समय-समय पर होती रहती है। हालांंकि, झारखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस समीक्षा बैठक को राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अक्टूबर नवंबर में झारखंड में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में वेलफेयर स्कीम को घर घर तक पहुंचाने के लिए चंपई सोरेन सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। लोकसभा चुनाव में सभी आदिवासी सीटों में मिली जीत से कांग्रेस और जेएमएम के हौसले बुलंद हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में भी इसी जीत को दोहराने की कोशिश है। यही वजह है कि, अभी से ही प्रशासनिक अमला को चाक चौबंद बनाया जा रहा है।
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सरकार जहां प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारु करने में जुटी है। वहीं विपक्ष की पार्टी भाजपा भी चुनावी मोड में आती हुई नजर आ रही है। झारखंड की सभी एसटी और एससी सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में भाजपा को एसटी सीटों में हार का सामना करना पड़ा है।
झामुमो के लिए एक राहत की बात है कि, हेमंत सोरेन की गैर मौजूदगी में उन्हें कल्पना सोरेन जैसा एक चेहरा मिल गयी हैं जो वर्तमान में गांडेय की विधायक भी हैं। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए विधानसभा चुनाव का रास्ता थोड़ा आसान जरूर हो जाता है।
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इस बीच विपक्षी सांसद निशिकांत दुबे ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि, अगले एक सप्ताह के अंदर झारखंड में राजनीतिक तौर पर बड़ा बदलाव होने वाला है। उनका इशारा चंपाई सोरेन को हटाकर कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की बात से है। हालांकि, इस बात की संभावना बेहद कम नजर आती है कि, इस विधानसभा चुनाव से पहले चंपई सोरेन को हटाया जाएगा। इस बात की उम्मीद जरूर है कि, अगले विधानसभा चुनाव में कल्पना सोरेन ही चेहरा होंगी। वर्तमान में चंपई सोरेन झारखंड की बागडोर संभाल रहे हैं और उन्होंने सभी विभागों की समीक्षा का काम शुरू करने का मन बना लिया है।