सुप्रीम कोर्ट से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फिलहाल राहत नहीं मिली है। झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। शुक्रवार को उसपर सुनवाई हुई हालांकि ED ने जवाब दाखिल नहीं किया जिसकी वजह से अगली सुनवाई मंगलवार को तय की गई है। दरअसल, हेमंत सोरेन की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसे झारखंड हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसी फैसले के खिलाफ हेमंत सोरेन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
यह तो रही कानूनी बात लेकिन इसका राजनीतिक पहलू भी है। जबतक हेमंत सोरेन जेल में रहेंगे तबतक झारखंड मुक्ति मोर्चा की परेशानी भी बढ़ती रहेगी। पार्टी में कोई दूसरा लाइन तैयार नहीं है जो हेमंत सोरेन की जगह ले सके। लिहाजा, पार्टी का नीति निर्णायक तत्व पसोपेश की हालत में है। कल्पना सोरेन के आने से थोड़ी आसानी जरूर हुई है लेकिन उनका राजनीति में जो एक्सपीरियंस है वो दो से तीन महीने का है। उनको बना बनाया प्लेटफार्म मिला है जिसकी वजह से वे एग्रेसिव ढंग से प्रचार प्रसार कर रही हैं। हेमंत सोरेन की गैर मौजूदगी में गांडेय का उपचुनाव भी है। लिहाजा उस चुनाव को जीतना कल्पना सोरेन के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद ज़रूरी है। बात सिर्फ कल्पना सोरेन की नहीं है और ना ही गांडेय उपचुनाव की है। बल्कि 14 लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन को जीत दिलाने की भी है।